Contraceptive Pills Disadvantages: अनवांटेड प्रेगनेंसी से बचने के लिए कई महिलाएं मॉर्निंग आफ्टर पिल, कॉन्ट्रासेप्टिव पिल, इमरजेंसी पिल लेती हैं. ये पिल्स अनचाही प्रेग्नेंसी से बचाने में काफी मददगार साबित होती है. इन पिल्स का इस्तेमाल ऐसे समय पर किया जाता है, जब फिजिकल रिलेशन बनाने के दौरान प्रोटेक्शन यानी कॉन्डम का इस्तेमाल नहीं किया जाता. ज्यादातर महिलाओं को यह नहीं मालूम कि गर्भनिरोधक गोलियां खाने से शरीर का हार्मोनल संतुलन बिगड़ सकता है और तो और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स के मुताबिक, सिर्फ पिल्स खाने से ही नहीं, प्रेग्नेंसी रोकने के बाकी तरीकों जैसे- IUD भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 23 से 30 प्रतिशत तक बढ़ा सकता है. यह स्टडी पीएलओएस मेडिसिन जर्नल में पब्लिश हुई है. ये हार्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव और ब्रेस्ट कैंसर के बीच संबंध स्थापित करने वाली पहली स्टडी है. अध्ययन के मुताबिक, कॉन्ट्रासेप्टिव पिल का खाना छोड़ने पर इस बीमारी का खतरा कम हो सकता है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने कहा कि 20 या इससे कम उम्र की लड़कियों की तुलना में बड़ी उम्र की महिलाओं में इस बीमारी का जोखिम ज्यादा है.
युवा लड़कियों में खतरा कम!
एक्सपर्ट ने कहा कि सभी तरह के प्रोजेस्टोजन-ओनली कॉन्ट्रासेप्टिव्स को कंबाइन्ड ओरल कॉन्ट्रासेप्टिव्स की तरह ही ब्रेस्ट कैंसर के खतरे से जोड़ा जाता है. खाई जाने वाली पिल्स का जोखिम उन लड़कियों में कम होता है, जो युवा हैं. जबकि वृद्ध महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा रहता है. एक कंबाइन्ड कॉन्ट्रासेप्टिव पिल ओवरी को हर महीने एक एग जारी करने से रोकने के लिए प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का इस्तेमाल करती है. यह प्रेग्नेंसी को रोकने में भी 99.7 प्रतिशत प्रभावी है.
पिल्स के कई दुष्प्रभाव
प्रोजेस्टोजन-ओनली पिल में सिर्फ एक हार्मोन होता है, जो सर्वाइकल म्यूकस को थिक करता है और स्पर्म को गर्भ में प्रवेश करने से रोकता है. दोनों गोलियों के दुष्प्रभाव हो सकते हैं जैसे- कामेच्छा में बदलाव, मूड में बदलाव, सॉफ्ट ब्रेस्ट, बीमार महसूस करने लगना और वजन की समस्या पैदा होना आदि. डॉक्टर्स कंबाइन्ड पिल्स खाने से परहेज करने की सलाह देते हैं, खासकर उन लोगों को, जिनके पास ब्रेस्ट कैंसर का पारिवारिक इतिहास हो.
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