Convalescent Plasma Therapy: जानिए कोविड-19 मरीजों के लिए कौन डोनेट कर सकता है प्लाज्मा, कितनी होगी संख्या
Coronavirus Treatment: एहतियाती उपाय को अपनाकर ज्यादातर लोग महामारी के खिलाफ अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं, डॉक्टर और हेल्थकेयर वर्कर्स अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों की देखभाल करने में अनथक प्रयास कर रहे हैं. कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ अभी तक सटीक इलाज या वैक्सीन को नहीं बनाया जा सका है, लेकिन डॉक्टर और विशेषज्ञ हर संभव इलाज की कोशिश कर रहे हैं जो कोविड-19 के लक्षणों को हल्का करने में मदद कर सके.
बाजार में पहले से उपलब्ध दवाओं जैसे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और रेमडेसिविर का दोबारा इस्तेमाल करने के अलावा, डॉक्टर कोविड-19 के जोखिम और गंभीर लक्षण वाले मरीजों का इलाज करने के लिए प्लाज्मा थेरेपी का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. जब कोई वायरस या सूक्ष्मजीव शरीर में घुसता है, तब इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है और उसके खिलाफ एंटी बॉडीज का निर्माण करता है. ये एंटी बॉडीज सूक्ष्म जीव और होनेवाले संक्रमण से लड़ते हैं और ब्लड में महीनों या वर्षों भी रह सकते हैं.
हालांकि, कोविड-19 के खिलाफ कॉनवैलीसेंट प्लाज्मा के इस्तेमाल का असर की जांच जारी है, इस बीच वैज्ञानिकों ने पाया है कि एंटी बॉडीज दान किए ब्लड में तेजी से गायब हो सकती है. वैज्ञानिकों का सुझाव है कि डोनेट किए हुए प्लाज्मा में एंटी बॉडीज 2-4 महीनों के अंदर खत्म हो जाती है, लिहाजा प्लाज्मा डोनर को बहुत लंबा इंतजार नहीं करना चाहिए और सक्षम होने पर अपना प्लाज्मा जल्द से जल्द डोनेट करे. कोरोना को मात दे चुका शख्स प्लाज्मा पहली बार पॉजिटिव पाए जाने के 30-40 दिन बाद डोनेट करना चाहिए, माना जाता है कि उस वक्त तक उसकी एंटी बॉडीज खून में पर्याप्त रूप से बन चुकी होंगी.
प्लाज्मा थेरेपी या कॉनवैलीसेंट इलाज पर भरोसा
प्लाज्मा थेरेपी एक इलाज है जहां डॉक्टर कोविड-19 से रिकवर मरीजों के डोनेट किए हुए ब्लड से एंटीबॉडी से भरपूर सीरम को अलग करते हैं और बुरी तरह प्रभावित मरीज के शरीर में उसे चढ़ाते हैं. प्लाज्मा थेरेपी को कॉनवैलीसेंट प्लाज्मा थेरेपी भी कहा जाता है.
कौन डोनेट कर सकता है अपना प्लाज्मा
जो लोग कोरोना पॉजिटिव रह चुके हैं और डोनेशन और कोविड-19 की दो बार जांच रिपोर्ट निगेटिव से तीन सप्ताह पहले ठीक हो चुके हैं.
जिन लोगों की उम्र 18 साल की हो चुकी है, मगर 60 साल से ज्यादा की उम्र वाले न हों.
जिन लोगों का वजह 50 किलोग्राम या ज्यादा हो, जो स्वस्थ रूप से फिट हों.
हालांकि, कुछ वजहों से भी एक शख्स प्लाज्मा डोनेट करने में सक्षम नहीं हो सकता है, अगर वो प्ल्जामा डोनेट करने के उपयुक्त हैं भी हो.
अगर कोई शख्स मेडिकल की दवा इस्तेमाल कर रहा हो या अस्पताल में इलाज करा रहा हो.
जो महिला पूर्व में प्रेगनेन्ट रह चुकी हो, कैंसर का मरीज प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकता है.
हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर, हार्ट और किडनी से जुड़ी बीमारी वाले प्लाज्मा दान नहीं कर सकते.
चिह्नित बीमारी वाला शख्स भी अपना प्लाज्मा डोनेट नहीं कर सकते.
कितनी बार प्लाज्मा डोनेट कर सकता है
पिछले साल दिल्ली के तबरेज खान ने छह बार अपना प्लाज्मा डोनेट कर एक मिसाल पेश की थी. उससे सवाल पैदा हुआ था कि कोरोना से ठीक हुआ शख्स कितनी बार प्लाज्मा डोनेट कर सकता है? आईआईएसईआर पुणे में इम्यूनोलोजिस्ट सत्यजीत रथ कहते हैं, "ध्यान में रखते हुए हम ब्लड की मात्रा का सिर्फ 10 फीसद हर बार लेते हैं जिसे कोई डोनेट करता है. इसलिए कई बार प्लाज्मा डोनेट करने के बाद भी एक मरीज के पास उसके ब्लड में एंटी बॉडीज होना जारी रहेगा."
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