COPD: स्मोकिंग छोड़ना जिंदगी की क्वालिटी सुधारने का बढ़िया तरीका है. सिगरेट का एक सिंगल कश स्मोकर को लाखों फ्री रेडिकल्स के संपर्क में लाता है. जहरीली आदत के अलावा लंग कैंसर, ब्लड कैंसर, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, दिल के रोग और स्ट्रोक होने की संभावना भी बढ़ सकती है. क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) भारत में बढ़ रही है. शुरुआत में उसे स्मोकर की बीमारी कहा जाता था. लेकिन चिंताजनक ये है कि सक्रिय स्मोकर भी उसका शिकार हो रहे हैं.
COPD के चरण और रोकथाम के उपाय
सीओपीडी अपेक्षाकृत सामान्य, लंबा और इलाज योग्य स्थिति है जिससे किसी शख्स के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है. परिभाषा एम्फाइजिमा और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस के समान भी इस्तेमाल किया जाता है. सीओपीडी का उसकी गंभीरता के आधार पर विभिन्न चरण होते हैं. फोर्टिस अस्पताल, मुंबई में डॉक्टर अंशु पंजाबी उसके चरणों के बारे में विस्तार से बताते हैं. डॉक्टर रोकथाम संबंधी उपायों का भी सुझाव देते हैं.
प्रथम चरण- जब कोई शख्स शुरुआती चरण में सीओपीडी से पीड़ित होता है, तो उसको हालत के बारे में पता भी नहीं हो सकता है. खास संकेतों में खांसी, बलगम उत्पादन जाहिर होता है जिसे कोई आसानी से सामान्य फ्लू समझ सकता है. इलाज के विकल्पों में आम तौर पर ब्रोंकाइटिस की दवाएं शामिल होते हैं. उसे नेबुलाइजर का उपयोग कर लंग वायुमार्ग खोलने के लिए सांस लेने की जरूरत होती है.
दूसरा चरण- अगले चरण में गंभीर खांसी के साथ, बलगम उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. सख्त व्यायाम करने या टहलने पर सांस लेने में दुश्वारी हो सकती है. अगर स्थिति एक्यूट हो, तो डॉक्टर स्टेरॉयड या ऑक्सीजन की सिफारिश कर सकता है.
तीसरा चरण- इस चरण को गंभीर श्रेणी में रखा जाता है. तीसरे चरण में पहले के लक्षणों के अलावा बार-बार ठंड लगना, बीमारी, छाती का जकड़न, सूजे हुए टखने, घरघराहट का अनुभव हो सकता है.
चौथा चरण- इस चरण के दौरान किसी को हार्ट या लंग फेल्योर होने का जोखिम होता है. ऑक्सीजन का लेवल कम हो जाता है. बार-बार उतार-चढ़ाव, सांस की परेशानी घातक हो सकते हैं. ऐसा लगता है कि, मरीज को सर्जरी, लंग ट्रांसप्लांट की जरूरत होगी. चौथे चरण को बेहद गंभीर कहा जाता है.
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