कोरोना वायरस से होनेवाली बीमारी कोविड-19 ने लाखों लोगों को दुनिया भर में प्रभावित किया है. कोविड-19 की वैक्सीन आने के बाद टीकाकरण का काम जारी है. लेकिन मजबूत विकल्प न होने से मेडिकल पेशेवर इलाज के लिए अनथक प्रयास कर रहे हैं. इसलिए, एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर, आर्थराइटिस की दवा टोसिलिजुमैब, एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्लोरोक्वीन कोविड-19 के मरीजों का इलाज करने में शामिल किया गया है. अब एक दूसरी दवा भी कोरोना वायरस के मध्यम से गंभीर संक्रमण का इलाज करने में मदद कर सकती है.
क्या कुष्ठ रोग की दवा कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज करने में होगी सक्षम?
ताजा रिसर्च के मुताबिक, कुष्ठ रोग में इस्तेमाल होनेवाली दवा कोविड-19 से लड़ाई में मदद कर सकती है. कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है जो स्किन को गंभीर नुकसान पहुंचाती है. बीमारी होने होेने से शरीर पर सफेद चकत्ते यानी निशान पड़ने लगते हैं. पीड़ित शख्स के प्रभावित जगह पर नुकीली वस्तु चुभोने से दर्द का अहसास नहीं होता. धब्बे शरीर के किसी एक हिस्से पर शुरू होकर उचित इलाज ना कराने से पूरे शरीर में भी फैल सकते हैं.
प्रयोग के लिए वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस से संक्रमित चूहे जैसे जानवरों पर क्लोफफाजींमाइन का परीक्षण किया. नेचर पत्रिका में प्रकाशित रिसर्च से पता चला कि कुष्ठ रोग की दवा ने कोरोना वायरस के खिलाफ मजबूत एंटी वायरल गतिविधि का प्रदर्शन किया, जिसने गंभीर कोविड-19 से जुड़े सूजन को रोकने में मदद की. नतीजे के आधार पर दूसरे चरण का मानव परीक्षण जल्द शुरू करने की बात कही जा रही है.
अमेरिका में सैनफोर्ड बर्नहम प्रीबिस के शोधकर्ता सुमीत चंदा ने कहा, "क्लोफफाजींमाइन कोविड-19 के लिए एक आदर्श उम्मीदवार है. ये सुरक्षित, किफायती, गोली के तौर पर इस्तेमाल की जानेवाली है और वैश्विक सतह पर मुहैया कराई जा सकती है." सुमीत चंदा ने बताया, "हमें उम्मीद है क्लोफफाजींमाइन को दूसरे चरण के मानव परीक्षण में कोरोना पॉजिटिव लोगों पर इस्तेमाल कर असर का पता लगाया जाएगा जो अस्पताल में भर्ती नहीं हैं.
रेमडेसिविर, टोसिलिजुमैब, हाइड्रोक्लोरोक्वीन के बाद अब क्लोफफाजींमाइन
वर्तमान में कोरोना पॉजिटिव लोगों के लिए बाह्य रोगी उपचार नहीं होने से क्लोफफाजींमाइन बीमारी के प्रभाव को कम कर सकती है, जो खासकर अब जरूरी है क्योंकि वायरस के नए वैरिएन्ट्स को हम उजागर होते देख रहे हैं और जिसके खिलाफ वैक्सीन कम असरदार मालूम पड़ती है." वैज्ञानिकों ने पाया कि क्लोफफाजींमाइन से लंग्स में वायरस की मात्रा कम हो गई, उसमें स्वस्थ जानवरों को संक्रमण से पहले दवा देना शामिल रहा. दवा ने फेफड़े के नुकसान को भी कम किया और साइटोकाइन स्ट्रॉम को रोक दिया.
यूनिवर्सिटी ऑफ हांग कांग के प्रोफेसर रेन सन कहते हैं, "जिन जानवरों को क्लोफफाजींमाइन दिया गया उनके लंग को कम क्षति हुई और वायरल लोड कम हुआ, विशेषकर जब संक्रमण से पहले दिया गया." आपको बता दें कि क्लोफफाजींमाइन एफडीए से स्वीकृत है और विश्व स्वास्थ्य संगठन के आवश्यक दवाइयों की लिस्ट में शामिल है. कुष्ठ रोग का इलाज करने के लिए क्लोफफाजींमाइन की खोज 1954 में की गई थी.
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