नई दिल्ली: कोरोना वायरस से दुनियभार में कोहराम मचा हुआ है. भारत में इसकी गंभीरता को देखते हुए लॉकडाउन और कर्फ्यू अलग-अलग राज्यों में चल रहा है. इस जानलेवा वायरस से बचन के लिए अभी तक कोई दवा या टीका बाजार में मौजूद नहीं है. लोग इस खतरनाक वायरस से बचने के लिए मास्क, ग्लव्स और सैनेटाइजर जैसे तरीकों को अपना रहे हैं. आज आपको बताते हैं कि सैनेटाइज के बारे में हर जानकारी.






54 साल पहले आया था हैंड सैनेटाइजर, अब हर घर में मौजूदगी 


सैनेटाइजर एक विशेष प्रकार का जेल या लिक्विड होता है. जो आपके हाथों पर मौजूद बैक्टीरिया को तुरंत प्रभाव से खत्म कर देता है. हैंड सैनेटाइजर के प्रयोग से आपके हाथ साफ हो जाते हैं. इसके लिए आपको पानी या साबुन की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है. आजकल कोरोना के कहर से बचने को हर कोई हैंड सैनेटाइजर का प्रयोग कर रहा है. लेकिन पहले भी इसका प्रयोग मेडिकल पेशेवर और दफ्तरों में काम करने वाले लोग करते रहते थे. कोरोना के पैर पसारने के बाद देश में हैंड सैनेटाइजर की बिक्री में भारी उछाल आया है.


हैंड सेनेटाइजर बनाने का श्रेय एक अमेरिकी महिला को जाता है. इस महिला का नाम ल्यूप हर्नांडिज है. ल्यूप में 1966 में हैंड सैनेटाइजर का अविष्कार किया था. तब वह नर्सिंग की पढ़ाई कर रही थीं. दरअसल उन्होंने इस आइडिया पर तब काम करना शुरु किया जब उन्हें लगा कि अगर मरीज के इलाज के बाद उन्हें साबुन और पानी न मिले तो वह संक्रमण को रोकने के लिए अपने हाथ कैसे सैनेटाइज करेंगी. ल्यूप ने एल्कॉहल के बेस के साथ एक जेल बनाया था. इसका परीक्षण किया गया तो बैक्टीरिया खत्म हो गए थे. आजकल उनका यह अविष्कार लोगों को फायदा जरुर पहुंचा रहा है.


कोरोना के दौरान लोग जमकर हैंड सैनेटाइजर का प्रयोग कर रहे हैं. ऐसे में लोग सैनेटाइजर की खोज करने वाली ल्यूप के इस अहम योगदान को नहीं भूल रहे हैं. लोग ट्विटर पर उन्हें इस अविष्कार के लिए शुक्रिया कह रहे हैं.


यहां पढ़ें 


आज अपने संबोधन में पीएम मोदी वित्तीय आपातकाल जैसी कोई घोषणा नहीं करेंगे- सूत्र  


नोएडा में COVID-19 का एक और पॉजिटिव केस सामने आया, सोसाइटी को सील किया गया