कोविड-19 का इलाज कर रहे स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया है कि मरीजों को डायबिटीज का भी सामना करना पड़ रहा है. उनका ये भी कहना है कि ये बीमारी उन लोगों में भी देखी जा रही है जो पहले से डायबिटिक नहीं थे. उन्होंने नई परेशानी को कोविड-19 के कारण हुई डायबिटीज का नाम दिया है.


एम्स के मेडिसीन विभाग में तैनात डॉक्टर नीरज निश्चल ने बताया कि जिन लोगों में डायबिटीज के लक्षण कभी नहीं थे, उनमें भी संक्रमण के बाद तेजी से शुगर लेवल बढ़ने का मामला देखा गया है. हालांकि, ऐसे मामले बहुत कम हैं. इससे पहले, कोरोना से गंभीर बीमार मरीजों को ठीक होने के बाद शुगर बढ़ने और ब्लॉकेज होने से हार्ट अटैक की चेतावनी दी जा चुकी है.


दक्षिण दिल्ली निवासी नीरज अपना उदाहरण देते हुए बताते हैं, "पहले मुझे डायबिटीज का लक्षण नहीं था. अप्रैल के पहले सप्ताह में कोरोना की चपेट में आया. गंभीर संक्रमण की वजह से दो सप्ताह तक मुझे आईसीयू में रहना पड़ा. इलाज के दौरान पता चला कि मेरा शुगर लेवल बढ़ा हुआ है. अस्पताल से डिस्चार्ज होकर जब घर आया, तो शुगर का लेवल और भी ज्यादा हो गया." 


फोर्टिस अस्पताल में हार्मोन रोग विशेषज्ञ डॉक्टर श्वेता बुडयाल का कहना है, "कोरोना वायरस के कारण भी शुगर बढ़ सकता है क्योंकि वायरस सीधे तौर पर पैंक्रियाज में इंसुलिन उत्पादित करनेवाली कोशिकाओं को प्रभावित करता है." 4 जून को दिल्ली सरकार ने आदेश जारी कर बताया कि आईसीयू से छुट्टी पा चुके ऐसे मरीजों को ग्लूकोमीटर उपलब्ध कराया जा सकता है, जिनके ब्लड में शुगर का लेवल अधिक पाया गया है. ग्लूकोमीटर उपकरण के साथ 50 स्ट्रिप मिलेगी, जिससे मरीज शुगर की जांच कर सकते हैं.  


कोविड-19 से उबर चुके लोगों के लिए सलाह
कोरोना संक्रमित मरीज को अपने शुगर लेवल की जांच करानी चाहिए. यहां तक कि अगर डॉक्टर भी भूल जाए, तो खुद शुगर टेस्ट कराएं.. 


क्वारंटीन में रह रहे लोगों के लिए तो विशेष तौर पर शुगर लेवल की जांच कराना आवश्यक हो है. शुगर लेवल 70-180 के बीच होना चाहिए. 


डॉक्टरों की सलाह है कि कोविड-19 से ठीक होने पर 180 दिनों के अंदर शुगर लेवल का नियंत्रण बेहद जरूरी है.


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