चीन के वुहान से फैला कोरोना वायरस महिलाओं से ज्यादा पुरुषों की जिंदगी निगल रहा है. ग्लोबल हेल्थ 50-50 डेटाबेस की रिपोर्ट में अभी तक के मुहैया आंकड़ों का अध्ययन कर खुलासा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, 30 नवंबर के बाद यमन में मृतकों में तीन चौथाई की तादाद पुरुषों की थी. बांग्लादेश, थाईलैंड, नाईजीरिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में भी आंकड़ों का प्रतिशत बराबर रहा. तुर्की, सीरिया, किर्गिस्तान और हांगकांग में तादाद करीब 62 फीसद थी.


कोरोना वायरस क्यों बन रहा पुरुषों के लिए ज्यादा जानलेवा?


कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा संक्रमित देश भारत और मैक्सिको में 64 फीसद, ब्राजील में 58 फीसद और अमेरिका में 54 फीसद मरनेवाले पुरुष थे. रिपोर्ट में इसका भी खुलासा हुआ कि पुरुष और महिला दोनों संक्रमण से बराबर प्रभावित हुए. ऐसे में कोविड-19 से पुरुषों की ज्यादा मौत क्यों हो रही है?  विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाएं डॉक्टर के पास पुरुषों की तुलना में ज्यादा जाती हैं. धूम्रपान कम करती हैं और हाथ ज्यादा धोती हैं.


उसके मुकाबले पुरुषों का खतरनाक रवैया और बीमारियों को बीच में छोड़ देने का रुजहान ज्यादा जिम्मेदार है. अमेरिकी जेनेटिक विशेषज्ञ शैरोन मुआलेम बताते हैं, "कोरोना वायरस असामान्य तरीके से पुरुषों को निशाना बना रहा है. बात जब जिंदगी जीने की हो, तो पुरुष कमजोर लिंग है. उसकी वजह हमारी जीन की प्रोग्रामिंग में मौजूद है."


जिंदगी जीने के मामले में लिंग भेद कम उम्र में सामने आ जाता है. हर मुल्क में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले 6-8 साल औसत ज्यादा जिंदगी जीती हैं. एक पुरुष 10 साल की उम्र को पहुंचतता है तो चार महिलाएं भी उसकी उम्र को नहीं पहुंच पातीं. डॉक्टर शैरोन का मानना है कि जीवित बच रहने की क्षमता की बात की जाए, तो महिलाएं बेहतर लिंग हैं.


महिलाओं के मुकाबले पुरुषों का रवैया अधिक गैर जिम्मेदार


इंसानों में क्रोसोम की संख्या 23 जोड़ी यानी 46 क्रोमोसोम होते हैं. उनमें से 22 जोड़ियां पुरुषों और महिलाओं में एक जैसी होती हैं. अंतर सिर्फ 23वें क्रोमोसोम में होता है जिसे एक्स क्रोमोसोम भी कहा जाता है. महिलाओं में दो एक्स क्रोमोसोम होते हैं जबकि पुरुषों में एक एक्स और एक वाई क्रोमोसोम पाया जाता है. एक्स क्रोमोसोम वाई क्रोमोसोम के मुकाबले अधिक पेचीदा होता है. उसमें करीब 1150 जीन होते हैं. दूसरी तरफ वाई क्रोमोसोम में 60-70 जीन होते हैं.


इसके अलावा पुरुषों और महिलाओं के बीच अंतर की वजह बननेवाले अन्य कारण भी अपनी भूमिका निभाते हैं. पुरुषों के हार्मोन टेस्टोस्टेरोन को फ्लू की वैक्सीन के बाद भी प्रतिरोधक तंत्र की कमजोर प्रतिक्रिया से जुड़ा पाया गया है. इसके विपरीत, महिलाओं का हार्मोन एस्ट्रोजन में सूजन से लड़ने के गुण पाए गए और ये शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बेहतर बनाता है.


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