कोविड-19: महामारी के खिलाफ युद्ध स्तर पर दुनिया भर में जंग जारी है. इलाज के लिए डॉक्टर और वैज्ञानिक दवा ढूंढने में लगे हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि दवा की तैयारी से हम कितने कदम दूर हैं ? एंटी वायरल दवा, प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने वाली दवा और वायरस पर हमला करनेवाली एंटी बॉडीज के तरीके कारगर हो सकते हैं ?


विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के डॉक्टर ब्रोस एलवार्ड ने अपने चीन के दौरे के बाद रेमडेसीवीर दवा को वायरस के खिलाफ कुछ कारगर होने की बात कही थी. ये एंटी वायरल दवा एबोला के इलाज के लिए बनाई गई थी. मगर ये कई अन्य बीमारियों में भी कारगर साबित हो रही है. ये जानवरों में खतरनाक कोरोना वायरस के इलाज जैसे MERS, SARS में भी प्रभावकारी साबित हुई है. इसी के चलते उम्मीद जाहिर की जा रही है कि ये दवा कोरोना वायरस के खिलाफ मददगार साबित हो सकती है. शिकागो विश्वविद्यालय की तरफ से किए गए शोध में इसके प्रभावकारी होने की बात सामने आई थी.


भारतीय आयुर्विज्ञान अनुंसाधन परिषद ने दो एंटी रेट्रो वायरल दवाओं की सिफारिश की है. लोपिनावीर और रिटोनावीर दवाएं HIV के इलाज में इस्तेमाल होती हैं. हालांकि ये दवाएं कोविड-19 के इलाज में प्रभावकारी साबित हुई हैं इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिला है. मलेरिया की दवा पर WHO और ब्रिटेन में शोध हो रहा है. क्लोरोक्वीन और हाईड्रोक्सी क्लोरोक्वीन में एंटी वायरल और प्रतिरोधक क्षमता को राहत पहुंचाने की विशेषता हो सकती है. मगर कोविड-19 के इलाज में इसके प्रभावकारी होने का पक्का सबूत नहीं मिला है. विश्व स्वास्थ्य संगठन इंटरफेरॉन बीटा पर ट्रायल कर रहा है. इस दवा को सूजन के कम करने में इस्तेमाल किया जाता है.


कोविड-19 से ठीक होनेवाले के खून से प्लाजमा लेकर भी इलाज किया जा रहा है. इससे ऐसी एंटी बॉडी विकसित होती है जो वायरस पर हमलावर हो सकती है. ठीक होनेवालों के खून से प्लाजमा लेकर कोविड-19 से संक्रमित मरीज के शरीर में दाखिल कर दिया जाता है. अमेरिका में इस पद्धति के जरिए 500 मरीजों का इलाज किया गया. कुछ अन्य मुल्कों में भी इसके जरिए इलाज किए जाने की खबर है.


इन सारे रिसर्च के बाद यही कहा जा सकता है कि फिलहाल कोविड-19 के इलाज के लिए दवा की उपलब्धता के बारे में कहना जल्दबाजी होगी. मगर अगले चंद महीने में परीक्षण के नतीजे मिलने शुरू हो जाएंगे. डॉक्टर पहले से बनाई जा चुकी दवाओं का ट्रायल कर रहे हैं. कुछ नई कोरोना वायरस की दवा का लेबोरेट्री में परीक्षण किया जा रहा है. लेकिन अभी उन दवाओं का परीक्षण इंसानों के लिए तैयार नहीं हैं.


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