नयी दिल्ली: आयातित स्टेंट के बेहतर होने के कॉरपोरेट अस्पतालों के दावे पर सवाल उठाते हुए चिकित्सकों के एक समूह ने आरोप लगाया कि इन अस्पतालों ने जीवनरक्षक स्टेंट की कीमतों पर अंकुश लगाने के केंद्र के हालिया फैसले को बेअसर करने के लिए ‘महागठबंधन’ बना लिया है.

एलायंस ऑफ डॉक्टर्स फॉर एथिकल हेल्थकेयर (एडीईएच) ने कहा कि राष्ट्रीय औषधि कीमत प्राधिकरण (एनपीपीए) के जीवनरक्षक स्टेंट की कीमतों पर अंकुश लगाने से इन अस्पतालों का मुनाफा प्रभावित होगा, जो ‘बिल्कुल अनैतिक और आपराधिक’ है.

एडीईएच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि वह इस बात को सुनिश्चित करें कि यह फैसला ऐसे लोग बिना किसी बाधा के लागू करें और इसका अनुपालन सुनिश्चित हो. उन्होंने कहा कि अगर विदेशी कंपनियां भारतीय अस्पतालों को स्टेंट की आपूर्ति करने से मना कर रही हैं तो इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए भारतीय कंपनियों को पूरा समर्थन देने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, ‘‘एडीईएच कॉरपोरेट अस्पतालों के दावे पर सवाल उठाती है कि आयातित स्टेंट किसी भी तरह से भारत में तैयार स्टेंट से बेहतर हैं.’’

एडीईएच की कोर कमेटी के सदस्य जी एस ग्रेवाल और अरूण मित्रा ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि कॉरपोरेट अस्पतालों ने एनपीपीए के जीवनरक्षक स्टेंट की कीमतों पर अंकुश लगाने के क्रांतिकारी फैसले को पलटने के लिए महागठबंधन बना लिया है क्योंकि इससे उनका मुनाफा प्रभावित होगा और यह बिल्कुल अनैतिक और आपराधिक है और चिकित्सीय भ्रष्टाचार है.’’

सरकार ने हाल में स्टेंट की कीमतों में 85 प्रतिशत तक कमी करते हुए सिर्फ धातु वाले स्टेंट की कीमत 7260 रूपये जबकि ड्रग इलुटिंग किस्म के स्टेंट की कीमत 29 हजार 600 रूपये निर्धारित कर दी थी.