टीवी की फेमस एक्ट्रेस छवि मित्तल जो कि एक कैंसर सर्वाइवर भी हैं. अब उन्होंने अपनी बीमारी कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस को लेकर जानकारी दी हैं. आइए बताते हैं आखिर यह बीमारी क्या है?  कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस बीमारी में अक्सर छाती दीवार पर दर्द होने लगता है. इसे कोस्टोस्टर्नल सिंड्रोम भी कहा जाता है. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें पसलियों को ब्रेस्ट की हड्डी से जोड़ने वाले हड्डी में सूजन होने लगते हैं. जिसकी वजह से छाती की दीवार में दर्द होने लगता है. यह बीमारी किसी भी व्यक्ति और किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है. लेकिन यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है. खासकर उन महिलाओं को जिनकी उम्र 30-40 के बीच की है. 


कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस के लक्षण


कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस का सबसे आम लक्षण छाती में तेज दर्द है जो शरीर के अन्य हिस्सों तक फैल सकता है. जिस जगह दर्द हो रहा है उसकी वजह सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है. इस बीमारी के शुरुआती लक्षण है- थकान, सोने में तकलीफ, सांस लेने में दिक्कत जैसे कठिनाई शामिल है. ज्यादा एक्टिविटी करने पर यह दर्द और भी ज्यादा बढ़ सकता है. 


कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस के कारण


कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस का कारण अक्सर अज्ञात होता है, लेकिन कुछ संभावित कारण हैं जो इसमें योगदान दे सकते हैं.इनमें छाती की दीवार कोई पुरानी चोट, इंफेक्शन, फाइब्रोमायल्जिया और ऑटोइम्यून की बीमारी में भी इस एरिया में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है. 


जब कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस के इलाज की बात आती है, तो कई ऑप्शन्स हैं. इसका सही इलाज के कारण सूजन और दर्द को कम किया जा सकता है. इस बीमारी में नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडी) जैसी दवाएं इस्तेमाल की जाती है. साथ ही साथ मांसपेशियों में दर्द को भी कम किया जा सकता है.  कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के कुछ मामलें में सूजन और दर्द को कम करने के लिए इंजेक्शन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. 


किस स्थिति में पड़ती है सर्जरी की जरूरत


कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस के कुछ गंभीर मामलों में भी सर्जरी की जरूरत पड़ती है. ऐसे मामले जिसमें सर्जरी के बिना बिल्कुल काम नहीं बन सकता है. ऐसे में हड्डी या पतली को काटना पड़ता है. हालांकि सर्जरी एकदम अंतिम उपाय है. क्योंकि सर्जरी के बाद इसमें दर्द और इंफेक्शन का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है. 


इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने कॉस्टोकॉन्ड्राइटिस के लिए कौन से इलाज का तरीका चुनते हैं. क्योंकि सबसे जरूरी है कि आपको इसके दर्द से आराम मिलें और आप वापस से एक्टिव हो सकें. एक्टिव रहने से मांसपेशियों में दर्द और तनाव की स्थिति कम होती है. आपको ऐसी किसी भी गतिविधि से बचना चाहिए जो आपकी स्थिति को खराब कर सकती है. 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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