आइवरमेक्टिन निर्माता कंपनी ने कोविड-19 की रोकथाम करनेवाली एक प्रायोगिक दवा पर अंतिम चरण का मानव परीक्षण शुरू कर दिया है. Merck & Co ने मोलनुपीरवीर को विकसित करने के लिए Ridgeback Biotherapeutics के साथ गठजोड़ किया है. उनकी दवा के अंतिम चरण का मानव परीक्षण के लिए वॉलेंटियर को शामिल करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है. कंपनियों को उम्मीद है कि दवा मरीजों में कोविड-19 की रोकथाम कर सकती है, लेकिन अभी और रिपोर्ट साझा करना बाकी है कि वास्तव में कैसे उसका इस्तेमाल किया जाएगा. Merck ने परजीवी रोधी दवा आइवरमेक्टिन का भी विकास किया है जिसकी झूठे दावों के कारण बदनामी हुई है कि ये वायरस से लड़ सकती है. 


 क्या प्रायोगिक दवा कोरोना संक्रमण को रोक पाएगी?


न्यू जर्सी की कंपनी केनिवर्थ ने फरवरी में कोविड-19 की लड़ाई में आइवरमेक्टिन के इस्तेमाल पर आगाह किया था. बयान में कहा गया था, "प्री क्लीनिकल रिसर्च से कोविड-19 के खिलाफ आवरमेक्टिन के संभावित चिकित्सकीय प्रभाव का वैज्ञानिक आधार नहीं है; अधिकतर रिसर्च में सुरक्षा के डेटा की चिंताजनक कमी दर्शाई गई है." आइवरमेक्टिन को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से परजीवी प्रकार की बीमारियां जैसे ओंकोकेरसियासिस और लसीका फाइलेरिया या हाथीपांव रोग के इलाज में मंजूरी मिल चुकी है. 


आइवरमेक्टिन निर्माता की गोली पर ट्रायल की कवायद


यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना की रिसर्च में पाया गया कि दवा कोविड-19 और मिलते जुलते दूसरे वायरस के वायरल सेल्स की नकल को रोक सकती है. गोली के तौर पर इस्तेमाल की जा सकनेवाली दवा अब अमेरिका में अंतिम चरण के मानव परीक्षण में दाखिल हो रही है क्योंकि Merck का मंसूबा आखिरकार एफडीए की मंजूरी हासिल करना है. 18 साल के 1,300 से ज्यादा वॉलेंटियर को रिसर्च के लिए भर्ती किया जाएगा और किसी ऐसे शख्स के साथ घर में रखा जाएगा जिसमें कोविड-19 का सिम्पोटैमिक मामला हो. कंपनी का इरादा कुछ कम आमदनी वाले देशों में आपातकालीन मंजूरी हासिल करने के लिए दवा के इस्तेमाल करने का है. कंपनी ने भारतीय जेनेरिक दवा निर्माताओं के साथ मोलनुपीरवीर को देश में बनाने और बेचने के लिए साझेदारी की है, हालांकि स्थानीय नियामक की तरफ से मंजूरी पेंडिंग है. 


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