COVID-19 की चपेट में आने वाले लोगों की तादाद तेजी से बढ़ रही है. मुंबई, पुणे समेत अन्य शहरों में ओमिक्रॉन के नए वेरियेंट्स के कई मामले सामने आए हैं. करीब 95 फीसदी संक्रमितों में हल्के-फुल्के लक्ष्ण नजर आए हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की नौबत नहीं आई है. लेकिन भर्ती होने वाले लगभग सभी कोविड मरीजों में एक चीज कॉमन है.


"कोमॉर्बिड मरीजों में संक्रमण का खतरा ज्यादा"


अभी तक ऑमिक्रोन के नए वेरियेंट और सब-वेरियंट से संक्रमित जितने भी मरीज अस्पताल में इलाजरत हैं, उनमें से अधिकांश कोमॉर्बिड हैं यानी पहले से किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं. हिंदूजा अस्पताल के डॉ. एल पिंटो ने इंडियन एक्सप्रेस को दी जानकारी में कहा है कि अधिकांश मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की वजह उनकी बीमारी है ना कि कोरोना संक्रमण. उन्होंने  कहा, "हमें इस बात की गांठ बाध लेनी चाहिए कि वैक्सीन का काम हमारे शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाना है ताकि हम बीमारियों से बचे रहें. मौजूदा वैक्सीन और बूस्टर डोज अपना काम बखूबी कर रहे हैं."


संक्रमण फैलने की दर अधिक, लेकिन खतरा कम


वैश्विक संस्था GISAID रजिस्ट्री के साथ भारत ने कोरोना मामलों की जो जानकारी साझा की है उनमें से 99.6 फीसदी केस ओमिक्रॉन के वेरियेंट और नए सब वेरियेंट BA.2 के हैं. डॉ.पिंटो के मुताबिक, "नए वेरियेंट के आने की संभावना पहले से थी. लेकिन नए वेरियेंट से संक्रमितों की जांच से स्पष्ट है कि इनमें से कोई भी नया वेरियंटपुराने वेरियंट की तुलना में खतरनाक नहीं है." उन्होंने कहा,"भले ही महाराष्ट्र में सब-वेरियंट BA.2.38 तेजी से लोगों को संक्रमित कर रहा है. लेकिन जो लोग पहले कोविड से संक्रमित हो चुके हैं या बूस्टर डोज ले चुके हैं उन्हें इस नए वेरियंट से ज्यादा खतरा नहीं है."


ओमिक्रॉन सब वेरियंट से संक्रमण के लक्षण


फीवर, सोर थ्रोट, बंद नाक,  बदन दर्द, स्वाद ना आना, हल्की खांसी ओमिक्रॉन के नए वेरियंट और सब वेरियंट से संक्रमण होने के प्रमुख लक्षण हैं. कुछ केस में डायरिया भी लक्षण के रूप में पाया गया है. हालांकि ज्यादातर मामलों में चार दिन के भीतर संक्रमित रिकवर कर रहे हैं लेकिन थकान और हल्की खांसी की परेशानी दूर होने में ज्यादा वक्त लग रहा है.


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