नई दिल्ली: हेटेरो, सिप्ला और मायलान जैसी कंपनियों के बाद अब एक अन्य प्रमुख दवा निर्माता कंपनी जुबिलेंट जेनरिक्स लिमिटेड को भारत के दवा नियामक ने सोमवार को एंटी-वायरल दवा रेमडेसिवीर के निर्माण और विपणन की अनुमति दे दी. इस दवा के इस्तेमाल से पहले हर रोगी की लिखित सहमति की आवश्यकता होती है, जबकि विपणन बाद के निगरानी डेटा और गंभीर प्रतिकूल मामलों की रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है. 21 जून को हेटेरो, सिप्ला और दो जुलाई को माइलान को उन्हीं शर्तों पर दवा के निर्माण और विपणन की अनुमति दी गई थी.


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने 'क्लिनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल फॉर कोविड-19' में बीमारी के मध्यम चरणों वाले कोविड-19 रोगियों पर दवा के उपयोग की सिफारिश की थी. इस घटनाक्रम से जुड़े एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, ‘‘सीडीएससीओ (केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन) ने सोमवार को मंजूरी दे दी. इससे भारत में रेमडेसिवीर के उत्पादन की क्षमता बढ़ जाएगी.’’


ऑक्‍सफोर्ड यूनिवर्सिटी को बड़ी कामयाबी
कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच पूरी दुनिया में इस वायरस से बचाव के लिए वैक्सीन की खोज की जा रही है. अब इसमें ब्रिटेन को बड़ी कामयाबी मिली है. ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने जिस वैक्सीन को तैयार किया है वह सकारात्मक साबित हुआ है. दरअसल ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने जो वैक्सीन ट्रायल किया है वह सुरक्षित साबित हुआ है और उससे इम्यून सिस्टम बेहतर होने के संकेत मिले हैं.इसका डेटा जल्द ही प्रकाशित होगा.


ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी ने वैक्सीन को 1,077 लोगों पर ट्राई किया है. इन लोगों पर हुए प्रयोग में यह बात सामने आयी है कि वैक्सीन के इंजेक्शन से इन लोगों के शरीर में एंटीबॉडी का निर्माण हुआ है. ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी की यह सफलता काफी उम्मीद जगाती है. लांसेट’ नामक पत्रिका में सोमवार को प्रकाशित शोध में, वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने पाया कि उनके प्रायोगिक कोविड-19 टीके ने 18 से 55 वर्ष की आयु के लोगों में दोहरी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न की है.


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