Covid-19 Pandemic: कैसे होता है महामारी का कम्युनिटी ट्रांसमिशन, क्या है इस खतरनाक स्थिति का कारण?
Covid-19: कम्युनिटी ट्रांसमिशन महामारी का सबसे आखिरी और खतरनाक चरण होता है, जिसकी वजह से संक्रमण का खतरा अपने भयानक रूप पहुंच जाता है.
Coronavirus महामारी की तीसरी लहर के साथ ही भारत में ये बीमारी कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज में पहुंच चुकी है. हालांकि स्पष्ट रूप से यह एक बयान से ज्यादा कुछ नहीं है और महामारी के इस चरण में इस ऐलान ये ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि ऐसा पहली बार है जब भारत ने आधिकारिक तौर पर कम्युनिटी ट्रांसमिशन का ऐलान किया है.
कम्युनिटी ट्रांसमिशन का मतलब क्या है?
महामारी की शुरुआत में इस बीमारी को संक्रमित यात्रियों से सीधे या एक चेन के रूप में जोड़कर देखा गया. इसी तरह धीरे-धीरे कर ज्यादा से ज्यादा लोग संक्रमित होते गए और वायरस बाकी लोगों के बीच फैलता चला गया. इनमें से कई लोगों ने लक्षण नहीं दिखाई देने के कारण टेस्ट नहीं कराया. लेकिन लक्षणहीन मरीज भी कैरियर का काम करते हैं, जिसकी जानकारी बाद में लगी. इसकी वजह से जल्द ही, यह एक ऐसी स्थिति बन गई जिससे संक्रमण की कड़ी से संक्रमित यात्रियों तक पता नहीं लगाया जा सका और अधिकतर मामले स्थानीय मिलने लग जाते हैं. इसी स्टेज को महामारी का कम्युनिटी ट्रांसमिशन स्टेज कहा जाता है. आसान शब्दों में कहें तो इस चरण में चेन रिएक्शन का पता नहीं लगता और किसने किसको संक्रमित किया इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है. इसके कारण महामारी पर रोक लगाने में कठिनाइयां आती है.
ट्रांसमिशन के होते है चार स्टेज
कम्युनिटी ट्रांसमिशन महामारी का सबसे आखिरी और खतरनाक चरण होता है, जिसकी वजह से संक्रमण का खतरा अपने भयानक रूप पहुंच जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार कम्युनिटी ट्रांसमिशन से पहले और तीन स्टेज- कोई सक्रिय मामले नहीं, छिटपुट मामले और मामलों का क्लस्टर होते हैं. अगर 28 दिन के अंदर किसी देश या क्षेत्र में कोरोना के मामले नहीं आने पर उसे कोई सक्रिय मामले नहीं वाली श्रेणी में रखा जाता है. जबकि पिछले 2 हफ्तों में सभी एक्टिव संक्रमित मामलों की जानकारी होने पर उसे दूसरे श्रेणी में रखा जाता है.
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भारत में अब तक महामारी के तीसरे स्टेज यानी मामलों के क्लस्टर की स्थिति घोषित की गई थी. WHO के अनुसार इस स्थिति में पिछले दो हफ्तों में पाए एक्टिव मामलों का एक क्लस्टर सीमित क्षेत्र में बना रहता है. जिसका सीधा संबंध इंपोट हुए मामलों से न होने पर भी उसे समय, भौगोलिक स्थिति और सामान्य एक्सपोजर से जोड़ा जाता. इस स्थिति में भी कई लक्षणहीन मामले सामने आते हैं, लेकिन फिर भी से इसे कम जोखिम वाली स्थिति माना जाता है. वायरस के ट्रांसमिशन की स्थिति को देखते हुए इस बीमारी के और प्रसार को रोकने के लिए की जाने वाली कार्रवाइयों को तय करने के लिए महत्वपूर्ण है.
मौजूदा स्थिति क्या है?
INSACOG द्वारा हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट के बताती है कि भारत साल 2020 के कुछ माह बाद ही कम्युनिटी ट्रांसमिशन के स्टेज में पहुंच गया था. INSACOG भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा स्थापित प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है जिसे जीनोम निगरानी का काम सौंपा गया है. जिस गति से कोरोना का ओमिक्रोन वेरिएंट फैल गया है, उसमें कोई संदेह नहीं था कि देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा था. ओमिक्रोन से पहले भी भारत लगभग 30 संक्रमणों में से केवल एक का पता लगा पा रहा था. अब इसकी संख्या में एक बड़ा उछाल देखा जा रहा है. महामारी के इस चरण में कम्युनिटी स्प्रेड पर चर्चा काफी हद तक एक एकेडमिक है और केंद्र, राज्य या स्थानीय स्तर पर किए जा रहे प्रतिक्रिया उपायों के प्रकार में किसी भी बदलाव को देखने की संभावना नहीं है.
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चूंकि मौजूदा लहर ज्यादातर हल्की बीमारी पैदा कर रही है, विशेषज्ञों का तर्क है कि एक रोकथाम रणनीति ज्यादा असरदार साबित नहीं हो सकती है, खासकर जब से संक्रमण इतनी तेज दर से फैल रहा है. इसके बजाय, ये बेहतर होगा कि भविष्य में होने वाले खतरनाक म्यूटेशन पर नजर रखने के उद्देश्य से निगरानी पर ध्यान दिया जाए.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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