(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Coronavirus: संक्रमण के प्रभाव से दुनियाभर में लोगों को लंबे समय तक हो सकती हैं परेशानियां
अमेरिका में दो दिवसीय कार्यशाला में कोविड-19 के दीर्घकालीन प्रभावों पर विचार किया गयाडॉक्टरों, विशेषज्ञों और मरीजों ने अपने अनुभव साझा कर समस्या पर फौरी ध्यान देने को कहा
Coronavirus: संक्रमण के लंबे समय तक लक्षणों को ध्यान देने की अत्यंत आवश्यकता है. अमेरिका में वरिष्ठ जन स्वास्थ्य अधिकारियों ने चेताया कि हजारों अमेरिका और दुनिया भर में लाखों लोगों को आनेवाली समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और ये उनकी काम करने की क्षमता और सामान्य रूप से कार्य में बाधा बन सकता है.
कोविड-19 के दीर्घकालीन प्रभावों को फौरी समझने की जरूरत
गुरुवार और शुक्रवार को दो दिवसीय आयोजित बैठक में अमेरिकी सरकार का पहला कार्यशाला कोविड-19 के दीर्घकालीन प्रभाव को समर्पित रहा. मेडिकल विशेषज्ञों, स्वास्थ्य अधिकारियों और मरीजों ने बैठक में अपने विचार रखे और बताया कि स्थिति को सिंड्रोम के तौर पर समझे जाने की जरूरत है. डॉक्टरों ने सिंड्रोम शब्द के नाम पर गंभीरतापूर्वक विचार करने की वकालत की.
अमेरिका के आला संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर फाउची ने कहा, "ये एक घटना है जो बिल्कुल सच और काफी व्यापक है." उन्होंने कहा कि हालांकि प्रभावित लोगों की संख्या अभी भी मालूम नहीं है. लेकिन अगर कोरोना वायरस से संक्रमित लाखों लोगों में से थोड़े को भी दीर्घकालीन लक्षण पीड़ा देता है, तो ये 'महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य का मुद्दा बनने जा रहा है'. इस तरह के लक्षण सांस की समस्या से लेकर दिल की परेशानी और मनोवैज्ञानिक समस्याएं पहले ही दुनिया भर में अनगिनत लोगों को अपनी चपेट में ले चुकी है. यहां तक कि जो लोग इतने ज्यादा कभी बीमार नहीं पड़े कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़े, उसका नतीजा अनेक पेचीदा लक्षणों के समावेश के साथ लंबा और भीषण हो सकता है.
कार्यशाला में विशेषज्ञों और मरीजों ने शेयर किए अनुभव
कोरोना वायरस को मात दे चुके लोगों का मानना है कि मेडिकल सिंड्रोम के तौर पर कोविड-19 के दीर्घकालीन लक्षणों को घटाने के लिए डॉक्टर और बीमा कंपनियों को मान्यता, पहचान और इलाज करने की कोशिश करनी चाहिए. कोविड-19 के बाद के लक्षणों के समूह को बताने के लिए विशेषज्ञों के सामने परिभाषा गढ़ना ज्वलंत मुद्दों में से एक है. अश्वेत स्मिथ ने कहा कि गैर आरक्षित समुदाय के लोगों को ये बताया जाना खास तौर से आवश्यक है कि दीर्घकालीन प्रभाव 'वास्तविक हैं और उतना ही संभव है जितना कोरोना वायरस से खुद की मौत'. उन्होंने कहा कि स्थिति पर न सिर्फ विचार करने की जरूरत है बल्कि सबसे ज्यादा पीड़ित लोगों को समझाना भी जरूरी है और ये बहुत कम आबादी है.
ब्रुकलिन की 32 वर्षीय शोधकर्ता हन्नाह डेविस ने मार्च में शुरू होनेवाले न्यूरोलोजिकल और ज्ञान संबंधी लक्षणों के बारे में बताया, "मैं अपने पार्टनर का नाम भूल गई. मैं सोने के बारे में भूल गई. मैं नियमत एक गर्म बरतन उठा लेती, खुद को जला लेती, नीचे रख देती और फिर वही काम करती. मुझे नहाने और कपड़े पहनने तक का याद नहीं रहता." विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोविड-19 रिस्पॉंस की वरिष्ठ अधिकारी डॉक्टर जेनेट डियाज ने कहा, "एजेंसी एक बैठक के बारे में मंसूबा बना रही है जो सिर्फ दीर्घकालीन कोरोना वायरस के प्रभावों के लिए खास होगी और जल्द ही कोविड-19 के बाद के लक्षणों और चिकित्सा यात्रा पर डेटा इकट्ठा करना शुरू करेगी."
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