कोविड-19 टीकाकरण प्रक्रिया के दूसरे चरण की शुरुआत सकारात्मक तरीके से हुई, लेकिन अभिभावकों को अभी भी सुरक्षित और आशाजनक वैक्सीन का इंतजार अपने बच्चों के लिए है. इसको देखते हुए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका की साझेदारी में अपनी वैक्सीन का मानव परीक्षण 6-17 साल के बच्चों पर शुरू किया है, अभी उन पर वैक्सीन के असर की पुष्टि होना बाकी है. हालांकि ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, सैकड़ों बच्चों को फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन का डोज दिया गया था और उसका कोई साइड-इफेक्ट्स जाहिर नहीं हुआ.


बच्चों में कोविड-19 का खतरा
सभी लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा है, लेकिन बच्चों को वायरस की चपेट में आने या व्यस्कों के मुकाबले गंभीर पेचीदगी का खतरा कम है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, 97 लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और संक्रमित आबादी की 12 फीसद संख्या 20 साल से कम उम्र की रही. रिपोर्ट से पता चलता है कि बाकी 88 फीसद 20 साल या उससे ऊपर की है. लेकिन जिन बच्चों को मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेट्री सिन्ड्रोम होता है, उन्हें अत्यंत देखभाल और ध्यान से संभालने की जरूरत है.


इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक, 12 और 16 साल के 600 बच्चों को फाइजर-बायोएनटेक का इजराइल में टीका लगवाया गया है, जिसके बाद प्रतिकूल प्रतिक्रिया के मामले या बच्चों में साइड-इफेक्ट्स के अनुभव उजागर नहीं हुए. स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहकार टीम प्रमुख डॉक्टर बोआज लीव ने कहा, "हमने अब तक करीब 600 बच्चों का टीकाकरण किया है. हमें कोई बड़ा साइड-इफेक्ट्स दिखाई नहीं दिया; यहां तक कि मामूली साइड-इफेक्ट्स बिल्कुल अपवाद रहे. ये हौसला बढ़ानेवाला है." जिन बच्चों को टीकाकरण की मंजूरी मिली, उनको डायबिटीज, मोटापा, पुराना फेफड़े और दिल की बीमारी और कैंसर जैसे जोखिम कारक थे. हालांकि, सिस्टिक फाइब्रोसिस से पीड़ित बच्चों को मानव परीक्षण का हिस्सा नहीं बनाया गया था.


ये भी पढ़ें


राजस्थानः जेल परिसर में बने पेट्रोल पंप पर काम कर रहे हैं 100 से ज्यादा कैदी, मिलती है सैलरी


Coronavirus: देशभर में 1 करोड़ 14 लाख के पार पहुंचा आंकड़ा, MP में 797 और कर्नाटक में सामने आए 932 नए मामले