World heart day: हार्ट अटैक आने पर वरदान से कम नहीं ये technic, पर इसकी प्रैक्टिस जरूरी
CPR Technique: दिल लाइफ का सेंट्रल पॉइंट है. जरा सी देर के लिए धड़कन रुक जाए तो समझिए लाइफ का द एंड. हार्ट अटैक आने पर तुरंत यह कदम जरूर उठाना चाहिए.
World Heart Day: आज वर्ल्ड हार्ट डे है. हेल्थ डिपार्टमेंट, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन दिल की बीमारियों के संबंध में लोगों को अवेयर कर रहे हैं. दिल लाइफ का सेंट्रल पॉइंट है. जरा सी देर के लिए धड़कन रुक जाए तो समझिए लाइफ का द एंड. लाइफ स्टाइल बदलने के कारण हार्ट प्रॉब्लम बढ़ रही है. हार्ट अटैक के दौरान एक टेक्निक तुरंत आजमानी चाहिए, जो किसी वरदान से कम नहीं है.
हार्ट अटैक है तो CPR दीजिए
आइए पहले समझ लेते हैं कि सीपीआर है क्या? हार्ट की धमनियां जब सही ढंग से काम नहीं करती हैं या उनमें ब्लॉकेज आ जाता है, तो हार्ट आगे ब्लड सप्लाई नहीं कर पाता है. व्यक्ति अचानक एकाएक बेहोश हो जाता है. उसे सडन कार्डियक अरेस्ट (sudden cardiac arrest) कहा जाता है. ऐसा व्यक्ति जहां भी मौजूद हो वह तुरंत नीचे गिर जाता है. अब यहीं से सीपीआर का काम शुरू होता है.
डॉक्टरों का कहना है कि पीड़ित के पास मौजूद शख्स की प्राइमरी रिस्पांसिबिलिटी है कि वह 1 मिनट में 100 से 120 बार सीने को तेजी से दबाए. इसको दबाने की गहराई 5 सेंटीमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. ऐसा करने पर व्यक्ति के दिल की पंपिंग फिर से शुरू हो सकती है और वह रिवाइव कर सकता है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि इसमें ज्यादा समय नहीं लगना चाहिए. यदि पीड़ित सांस नहीं ले रहा है या दिल की धड़कन बंद हो गई है तो तुरंत हॉस्पिटल या नजदीक के डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए.
मौत के 7 मिनट बाद तक शरीर में रहती है ऑक्सीजन
डॉक्टरों का कहना है कि यदि किसी की सांस आनी बंद हो गई हो, तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति के शरीर में 5 से 7 मिनट तक ऑक्सीजन रहती है. ऑक्सीजन रहने की वजह से बॉडी के सभी अंगों के दोबारा रिवाइव करने की संभावना होती है. डॉक्टरों का कहना है कि पीड़ित की हाथ, गर्दन की प्लस जांचनी चाहिए और देखना चाहिए कि वह सांस ले रहा है या नहीं. यदि पल्स नहीं चल रही है और वह सांस नहीं ले रहा है तो तुरंत एंबुलेंस बुलानी चाहिए. इस दौरान सीपीआर देने से मरीज की जान बच सकती है.
Covid के कारण मुंह से ना दे सांस
हार्ट अटैक से मरने वाले मरीज को पहले मुंह से सांस लेकर जिंदा करने की कोशिश की जाती थी. लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते इस पूरी प्रक्रिया को ही बदल दिया गया है क्योंकि कोविड-19 हवा से फैल रहा था.
कफ सीपीआर कहां संभव
सीपीआर के साथ एक और शब्द है कफ़ सीपीआर. कफ़ सीपीआर में हार्ट अटैक से प्रभावित शख्स खुद खांसकर और तेजी से सांस लेकर जिंदा रहने की कोशिश करता है. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि कोई व्यक्ति जो बेहोश है या मरने की स्थिति में है, वह खुद नहीं खांस पाएगा. ऐसे में कफ सीपीआर का कॉन्सेप्ट उतना कारागार नहीं है.
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