मुंह के साथ आंत में भी हो जाते हैं छाले, जानें क्या होता है क्रोन रोग और इसके कारण
पेट और पाचन से जुड़ी एक समस्या है क्रोन रोग. इसमें शरीर बहुत कमजोर हो जाता है. बचपन में ये हो जाए तो बच्चे की ग्रोथ पर बुरा असर पड़ता है. यहां इस बीमारी के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानें
Crohns Disease: क्रोन रोग आंतों से संबंधित एक बीमारी है, जिसके लक्षण बढ़ने पर मुंह में भी छाले हो जाते हैं. यह बीमारी कुछ लोगों में वंशानुगत हो सकती है तो कुछ लोगों में इम्युनिटी संबंधी समस्या के कारण सामने आती है. यदि बचपन में इस बीमारी के लक्षण अधिकता में दिखने लगें तो बच्चे की ग्रोथ को प्रभावित कर सकते हैं. आमतौर पर यह बीमारी 13 से 30 साल की उम्र में सामने आती है. यहां इसके बारे में जरूरी बातें बताई गई हैं...
क्या होता है क्रोन रोग?
क्रोन रोग एक ऐसी समस्या है, जिसमें पाचनतंत्र की परतों पर सूजन आ जाती है. इस कारण रोगी को डायरिया, लूज मोशन, पेट में मरोड़ आना जैसी समस्याएं होने लगती हैं. दिक्कत की बात यह है कि इस रोग के लक्षण या तो पर्मानेंट बने रहते हैं या फिर कुछ दिनों के अंतर से आते जाते रहते हैं. इसलिए शरीर को मिलने वाला पोषण डिस्टर्ब होता है. जिस कारण कमजोरी, थकान और दूसरी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगती हैं.
क्यों होता है क्रोन रोग?
क्रोन रोग के स्पष्ट कारणों के बारे में अब तक कुछ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन कुछ लोगों में यह बीमारी वंशानुगत कारणों से हो सकती है जबकि अन्य रोगियों में इस बीमारी के कारण के रूप में इम्युनिटी में हुए गैरजरूरी बदलावों को माना जाता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने नेचर से अलग हटकर व्यवहार करने लगती है तब क्रोन रोग हो सकता है.
क्रोन रोग के लक्षण क्या हैं?
- क्रोन रोग होने पर आंतों में छाले हो जाते हैं
- मुंह में होने वाले छाले इसका अस्थाई लक्षण हैं
- पाचनतंत्र में सूजन आ जाती है, इस कारण कुछ भी खाने-पीने पर समस्या होती है.
- पेट में मरोड़ आती हैं
- मोशन संबंधी समस्याएं होती हैं
- पीठ में दर्द रह सकता है
- स्किन संबंधी बीमारियां घेर लेती हैं.
- थकान रहना
- भूख के पैटर्न में बदलाव होना
- वजन घटना
- त्वचा में रूखापन और डलनेस आना
- मल के साथ ब्लड आने की समस्या हो सकती है
क्रोन रोग का इलाज कैसे किया जाता है?
क्रोन रोग का इलाज करने के लिए डॉक्टर्स पहले कुछ जरूरी जांच कराते हैं. इनमें लैब टेस्ट से लेकर कोलोनोस्कोपी तक शामिल होते हैं. हालांकि आयुर्वेदिक पद्धिति से यदि समय रहते इस बीमारी का इलाज शुरू किया जाता है तो इन सब टेस्ट की आवश्यकता नहीं पड़ती है. अनुभवी वैद्य सिर्फ लक्षणों और समस्या के आधार पर ही इसका उचित इलाज करते हैं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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