Disease: आजकल की लाइफ स्टाइल में मोबाइल का अहम योगदान है. बच्चे हो या बूढ़े, व्यस्क हो या जवान, चाहे महिला, चाहे पुरूष. मोबाइल पर उंगलियां थिरकते हुए आपने जरूर देखा होगा. बहुत कम लोग होंगे, जोकि मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. मोबाइल का प्रयोग करते समय कब मिनट घंटे में बदल जाए. पता नहीं चलता. जो लोग मोबाइल नहीं चला पाते. वो समय गुजारने के लिए लैपटॉप, कंप्यूटर या फिर टीवी का सहारा लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जितना अधिक समय आप इन स्क्रींस पर गुजार रहे हैं. उसका उतना खतरा भी अधिक है. आज इसी के बारे में जानते हैं. इससे क्या परेशानियां हो सकती हैं.
साइबर सिकनेस के शिकार हो सकते हैं
पहले जहां केवल स्क्रीन के रूप में माध्यम टीवी था. वहीं अब अनेक मीडियम हो गए हैं. लगभग हर मीडियम का प्रयोग करने की व्यक्ति कोशिश कर रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि लैपटॉप, कंप्यूटर, टीवी और मोबाइल के अधिक प्रयोग से साइबर सिकनेस की समस्या हो सकती है. यह बीमारी बीमारी और नर्वस सिस्टम से जुड़ी होती है. क्योंकि स्क्रीन प्ले के दौरान हर समय अलग अलग तरीके से ब्रेन रिएक्ट करता रहता है. स्क्रीन प्ले का दबाव आंख, ब्रेन और तंत्रिका तंत्र पर पड़ने लगता है.
क्या हैं साइबर सिकनेस के लक्षण
साइबर सिकनेस की परेशानी होने पर कई तरह के लक्षण भी सामने आते हैं. इनमें सिरदर्द, घबराहट होना, चक्कर आना, थकान का अहसास होना, चक्कर आना, थकान महसूस होना, चिड़चिड़ापन, परेशान रहना, एंग्जाइटी, ध्यान केंद्रित न कर पाना, आंखों मेें इरीटेशन होना, नींद की कमी, गर्दन-कंधे में दर्द, सिर में तेज दर्द होना शामिल हैं.
बीमारी से कैसे करें बचाव
बीमारी से बचाव की बात करें तो सबसे पहले स्क्रीन पर समय गुजारना कम करना होगा. डेली लाइपफ में एक्सरसाइज और योग शामिल करें, एक्सपर्ट के निर्देशन में आंखों की एक्सरसाइज करें, बहुत जरूरी होने पर ही स्क्रीन पर समय गुजारें, मोबाइल, लैपटॉप का फॉन्ट बड़ा रखें, स्क्रीन स्कॉल करने की स्पीड कम रखें, मोबाइल के बजाय दोस्त और परिवारों के साथ अधिक समय गुजारें.
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