पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन ड्राइव जोरों पर है. हर देश में वैक्सीन के असर को लेकर चर्चा है. कौन सी वैक्सीन किस उम्र के लोगों को लेनी चाहिए, अब इस पर भी डिस्कशन होने लगी है. अब साइप्रस के हेल्थ अधिकारियों ने 50 से नीचे उम्र वाले लोगों के लिए mRNA तकनीकी पर बनाई गई वैक्सीन को लेने की सलाह दी है. साइप्रस के हेल्थ मिनिस्ट्री ने कहा है कई काबिल स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह पर यह फैसला लिया गया है कि 50 से नीचे के लोगों को mRNA तकनीकी की वैक्सीन ही लेनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि वैक्सीन लेने के बाद खून में थक्का जमने की शिकायतें आने के बाद एक विशेषज्ञ वैज्ञानिकों की समिति बनाई गई थी जिसके बाद ये महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए. गौरतलब है कि mRNA तकनीकी के आधार पर Pfizer/BioNTech or Moderna ने वैक्सीन बनाई है जबकि AstraZeneca ने अलग तकनीक पर वैक्सीन बनाई है. भारत में कोवीशील्ड mRNA तकनीक से बनी है जबकि कोवैक्सीन AstraZeneca और स्पूतनिक एडिनोवायरस तकनीक पर बनी है जिसमें चिंपैंजी में पहुंचे वायरस को मार कर नई वैक्सीन तैयार की जाती है.
खून में थक्का जमने की शिकायतों के बाद वैक्सीन की तकनीक पर चर्चा
इससे पहले साइप्रस में AstraZeneca की वैक्सीन लेने के बाद एक 39 साल की महिला की मौत हो गई थी. कहा गया था कि ब्रेन हेमरेज से मौत हुई है. लेकिन साइप्रस मीडिया में इस मुद्दे को AstraZeneca की वैक्सीन से जोड़कर देखा गया था. इसके बाद सरकार ने वैज्ञानिकों की एक समिति बनाई जिसने 50 साल से कम उम्र के लोगों को AstraZeneca की वैक्सीन से बचने की सलाह दी और कहा कि वे लोग mRNA तकनीकी पर बनी वैक्सीन ले सकते हैं. हालांकि mRNA तकनीकी वाली वैक्सीन को ही क्यों लेनी चाहिए, इसकी कोई खास वजह नहीं बताई गई.
क्या है mRNA तकनीकी
mRNA तकनीकी वाली वैक्सीन में एक से ज्यादा बीमारियों से लड़ने की क्षमता होती है. यानी यह शरीर में कई एंटीबॉडी बनाती है जो कई बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार रहती है. कैंसर के इलाज में mRNA तकनीकी की मदद से ही इम्यून सिस्टम को मजबूत किया जाता है जिससे स्वस्थ्य कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में सहायक होती हैं.
वैक्सीन पर बनी वैश्विक संस्था गावी के मुताबिक mRNA तकनीकी वाली वैक्सीन जब शरीर में पहुंचती है तो यह SARS-CoV-2 के खिलाफ mRNA को प्रोटीन बनाने का सिग्नल देती है जो वायरस को मारने में सक्षम है. गावी के मुताबिक mRNA तकनीकी पर बनी वैक्सीन वायरस से 95 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान करती है. यह वायरस के कई वैरिएंट को मारने में सक्षम है.