प्रेसबायोपिया मरीज के लिए मार्केट में एक खास तरह की आई ड्रॉर आने वाली थीय  हाल ही में इस न्यूज ने काफी सुर्खियां बटोरी थी.  जिसमें एक कंपनी ने दावा किया कि वह एक ऐसी आई ड्रॉप बनाने जा रही है. जो प्रेसबायोपिया के मरीज है यानि जो लोग पास की चीज भी ठीक से नहीं देख पाते हैं. और इसके लिए वह चश्मा का इस्तेमाल करते हैं. उनका चश्मा उतरवा देगी. लेकिन अब ऐसी खबर आ रही है.


जानें DGCI ने आखिर क्यों किया निलंबित


एनटोड फार्मास्यूटिकल्स कंपनी जिसने दावा किया था आई ड्रॉप बनाने की उनकी मंजूरी को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने निलंबित कर दिया है. हालांकि एनटोड फार्मास्यूटिकल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) निखिल के. मसुरकर ने कहा कि कंपनी इस फैसले को अदालत में चुनौती देगी. 


एनटोड फार्मास्यूटिकल्स ने दावा करते हुए कहा था कि यह आई ड्रॉप प्रेसबायोपिया के मरीज के लिए फायदेमंद साबित होने वाली है. यह उनकी चश्मा पर निर्भरता खत्म कर सकती है. ‘नेशनल आई इंस्टीट्यूट' के मुताबिक प्रेसबायोपिया की बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है. इसमें नजदीक की चीज दिखाई नहीं देती है. दवा की मंजूरी को निलंबित करते हुए औषधि नियामक ने कहा कि कंपनी ने जिस औषधि उत्पाद का दावा किया है उसके लिए वह केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण से मंजूी नहीं ली है. जिससे नयी औषधि और क्लिनिकल परीक्षण नियमावली, 2019 के प्रावधानों का उल्लंघन हुआ.


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DGCI ने 10 दिसंबर जारी आदेश में कहा कि निदेशायल ने वयस्कों को होने वाली प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑफ्थैल्मिक सॉल्यूशन के विनिर्माण और विपणन के लिए 20 अगस्त को अनुमति दी ती. इसके बाद 4 सितंबर को औषधि नियामक ने प्रेस में किए गए दावे के सबूत के तौर पर स्पष्टीकरण मांगा था. लेकिन दावा करने वाली कंपनी ने अब तक इसके जवाब में कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दिया है. 


कंपनी का दावा


कंपनी ने दावा किया था कि पढ़ने की चश्मा की जरूरत को कम करने के लिए मेड इन इंडिया पहली आई ड्रॉप है. कंपनी ने यह भी कहा कि भारत में प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए कोई दूसरी आई ड्रॉप नहीं है. इस संबंध में सूचित किया जाता है कि पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑफ्थैल्मिक सॉल्यूशन यूएसपी 1.25 प्रतिशत डब्लू/वी को ऐसे किसी दावे के लिए अनुमोदित नहीं किया गया है कि इसे पढ़ने के लिए चश्मे की आवश्यकता को कम करने के वास्ते तैयार किया गया है.'


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DGCI का दावा


वहीं DGCI ने अपने आदेश में कहा है कि सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है. औषधि एवं प्रसाधन कानून, 1940 की नई औषधि एवं क्लिनिकल ट्रायल नियमावली, 2019 के नियम 84 के प्रावधानों के तहत पिलोकार्पाइन हाइड्रोक्लोराइड ऑफ्थैल्मिक सॉल्यूशन यूएसपी 1.25 प्रतिशत डब्लू/वी के निर्माण और विपणन को दी गई अनुमति को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया गया है. 


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