World Ovarian Cancer Day: ओवेरियन कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो अंडाशय में शुरू होता है.ये कैंसर होने पर अंडाशय में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं.महिलाओं में सबसे अधिक होने वाले कैंसर में ब्रेस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर के बाद तीसरे नंबर पर ओवेरियन कैंसर आता है. वहीं अक्सर जब इस तरह के कैंसर की बात आती है तो कुछ तरह के मिथक मरीजों को तनाव देने के साथ-साथ परेशानी का सबब बन जाते हैं. जागरूकता की कमी के कारण परेशानी काफी ज्यादा बढ़ जाती है और इलाज मुश्किल हो जाता है. 8 मई यानी कि आज दुनिया भर में वर्ल्ड ओवेरियन कैंसर डे मनाया जा रहा है. इस दिन का मकसद होता है लोगों को जागरूक करना. ताकि इसका सही वक्त पर इलाज किया जा सके. आज इस मौके पर हम आपको ओवेरियन कैंसर को लेकर कुछ मिथक की जानकारी दे रहे हैं जिसे तोड़ना बहुत जरूरी है. आइए जानते हैं इनके बारे में
ओवेरियन कैंसर को लकेर मिथक
1.बहुत सारे लोगों में ये भ्रम रहता है कि युवा महिला ओवेरियन कैंसर से पीड़ित नहीं हो सकती. हालांकि ये सच नहीं है यह सिर्फ एक मिथक है. क्योंकि यह गंभीर बीमारी उम्र देख कर नहीं आती है. 30 से 40 साल की आयु की युवा महिलाएं भी इस से पीड़ित हो सकती हैं.
2.लोगों में ये धारणा बनी हुई है कि पैप स्मीयर टेस्ट ओवेरियन कैंसर का पता लगा सकता है. लेकिन ये सच नहीं है पैप स्मीयर सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है. आपको बता दें कि ओवेरियन कैंसर की शुरुआती अवस्था में पहचान करने के लिए कोई भी टेस्ट मौजूद ही नहीं है. सारी महिला रोगियों की पहचान तक की जाती है जब ये आसपास के टिशूज और अंगों में फैलने लग जाते हैं.
3.ये एक बहुत बड़ा मिथक है कि ओवेरियन कैंसर का कोई इलाज ही नहीं है. लेकिन आपको बता दें कि ओवेरियन कैंसर का इलाज किया जा सकता है. आपको जैसे ही इस बीमारी के बारे में पता चले आपको चिकित्सीय सलाह लेकर एक स्वास्थ्य जीवन जी सकती हैं.
4.यह भी एक बहुत बड़ा मिथक है कि आपका कैंसर का पारिवारिक इतिहास से तो आपको भी यह हो जाएगा. इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि कैंसर का पारिवारिक इतिहास होने से बीमारी के विकास का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन यह आपके स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है आप स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर इसे रोक सकती हैं. जैसे व्यायाम करना, वजन मेंटेन करके रखना, तंबाकू उत्पादों से बचे रहना वगैरा-वगैरा.
5.कहा जाता है कि महिलाओं में ओवेरियन कैंसर के शुरुआती दौर में कोई लक्षण नहीं दिखते. ये भी एक मिथक है. आमतौर पर महिलाएं शुरुआती चरण के कैंसर के कुछ लक्षण का अनुभव करती हैं. जैसे पेशाब करने के वक्त दर्द महसूस, होना पेट में दबाव यौन संबंध के दौरान दर्द होना. ऐसे लक्षणों को इग्नोर नहीं किया जाना चाहिए. क्योंकि यह संकेत खतरनाक हो सकते हैं.