दुनियाभर में लाखों-करोड़ों कपल्स बांझपन की दिक्कत से जूझ रहे हैं, जिसकी वजह से वे नेचुरली कंसीव नहीं कर पा रहे हैं. खास बात यह है कि मेडिकल साइंस ने अब इतनी तरक्की कर ली है और रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी जैसे विट्रो फर्टिलाइजेशन यानी आईवीएफ डिवेलप की है, जिसकी मदद से आसानी से बच्चे पैदा किए जा सकते हैं. 


एम्स में एमडी, सीनियर कंसल्टेंट गायनीकॉलजिस्ट, लैप्रोस्कोपिक सर्जन और इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. वैशाली शर्मा ने बताया, 'आईवीएफ ने फर्टिलिटी ट्रीटमेंट की दुनिया में नई क्रांति कर दी है, जिससे उन कपल्स के मन में उम्मीदें जगा दी हैं, जो कंसीव करने के लिए जूझ रहे हैं. हालांकि, आईवीएफ के लिए सही कैंडिडेट तय करने के लिए कई वजह होती हैं, जिन पर बेहद सावधानी से विचार करना जरूरी है. आइए आपको बताते हैं कि फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए आइडियल कैंडिडेट कैसा होता है?'


समझें क्या होता है आईवीएफ?
विट्रो फर्टिलाइजेशन एक फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है, जिसमें एग्स और स्पर्म को शरीर से बाहर निकालकर लेबोरेटरी डिश में रखा जाता है. डॉ. शर्मा के मुताबिक, लेबोरेटरी डिश में तैयार भ्रूण को यूट्रस में ट्रांसफर किया जाता है और कामयाब प्रेग्नेंसी की उम्मीद की जाती है. आईवीएफ की सिफारिश उन कपल्स के लिए की जाता है, जो प्रजनन क्षमता से संबंधित दिक्कतों से जूझते हैं. इनमें ब्लॉक या डैमेज फैलोपियन ट्यूब, मेल फैक्टर इनफर्टिलिटी, ओव्यूलेशन डिसऑर्डर, एंडोमेट्रियोसिस या अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी शामिल हैं. 


कौन लोग करा सकते हैं आईवीएफ?
जिन महिलाओं में फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक या डैमेज होती है, वे आईवीएफ करा सकती हैं. इस प्रक्रिया में फैलोपियन ट्यूब्स को बाईपास करके गर्भधारण के लिए कारगर ऑप्शन तैयार किया जाता है. वहीं, मेल फैक्टर इनफर्टिलिटी के मामलों में अगर मेल पार्टनर के स्पर्म्स की संख्या कम होती है. स्पर्म मोबिलिटी की दिक्कत होती है या अन्य समस्याएं होती हैं तो आईवीएफ बेहद कारगर साबित हो सकता है. डॉ. शर्मा के मुताबिक, 'जिन महिलाओं में अनियमित ओव्यूलेशन या पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जैसी दिक्कतें हैं, वे भी प्रेग्नेंसी के लिए आईवीएफ करा सकती हैं. गंभीर एंडोमेट्रियोसिस वाले मरीज भी आईवीएफ के बारे में सोच सकते हैं. इस दिक्कत में गर्भाशय की परत पर असर पड़ता है और प्रजनन क्षमता कम हो जाती है. इसके अलावा जब बांझपन के कारण की पहचान नहीं होती है, तब भी आईवीएफ बढ़िया ऑप्शन साबित हो सकता है.'


आईवीएफ कितना कारगर?
यह बात सही है कि आईवीएफ तकनीक काफी लोगों के लिए मददगार साबित होती है, लेकिन क्या यह आपके लिए सही है, यह जानने के लिए कई चीजों को परखना जरूरी होता है. आईवीएफ का सक्सेस रेट उम्र काफी मायने रखती है. आमतौर पर युवा महिलाओं में आईवीएफ सक्सेसफुल होने के चांस काफी ज्यादा होते हैं. दरअसल, उम्र के साथ एग्स की क्वालिटी और क्वांटिटी कम होती जाती है. ऐसे में आईवीएफ के लिए आइडियल कैंडिडेट चुनते वक्त उम्र पर भी ध्यान देना जरूरी होता है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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