दीपिका पादुकोण ने किया मेंटल हेल्थ का जिक्र, जानें भारत में कितनी तेजी से बढ़ रही है ये दिक्कत
दीपिका पादुकोण मेंटल हेल्थ को लेकर अक्सर खुलकर बात करती हैं. हाल ही में ऐक्ट्रेस ने एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि किसी भी व्यक्ति के लिए मेंटल हेल्थ मायने रखते हैं. आइए जानें क्या है पूरा मामला.
दीपिका पादुकोण मेंटल हेल्थ को लेकर अक्सर खुलकर बात करती हैं. हाल ही में एक्ट्रेस ने लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन के द्वारा काम करने के तरीके को लेकर दिए बयान को लेकर खेद जताया है. दीपिका पादुकोण ने एक सीनियर जर्नलिस्ट की इंस्टाग्राम पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा कि इतने वरिष्ठ पदों पर बैठे लोगों को इस तरह के बयान देते देखना चौंकाने वाला है. क्योंकि मेंटल हेल्थ मायने रखती है. इसके बाद से एक बार फिर सोशल मीडिया पर वर्क कल्चर और मेंटल हेल्थ को लेकर चर्चा शुरू हो गई है.
अभी कुछ दिन पहले चेन्नई में काम करने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने काम के प्रेशर के कारण आत्महत्या कर ली थी. पुणे की बड़ी कंपनी में काम करने वाली लड़की जोकि पेशे से इंजिनियर आत्महत्या कर ली थी. यह कोई एक-दो खबरे नहीं है बल्कि ऐसी खबरों से सोशल मीडिया भरा पड़ा है कि अवसाद, डिप्रेशन, एंग्जायटी, वर्क लोड, नींद की कमी, परफॉर्मेंस के प्रेशर के कारण हर साल हजारों लोग सुसाइड करते हैं. लेकिन कोई भी मेंटल हेल्थ को लेकर बात नहीं करता है. लेकिन क्या एक इंसान आपको हंसता खेलता स्वस्थ्य दिख रहा है तो उसकी मेंटल भी ठीक होगी नहीं ऐसा नहीं होता है. न ही सुसाइड करना इसका निष्कर्ष है बल्कि इसपर खुलकर बात होनी चाहिए.
मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के कारण भारत को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. साल 2015 तक वैश्विक स्तर पर, दुनिया भर में 322.48 मिलियन से अधिक लोग किसी न किसी प्रकार के अवसादग्रस्तता विकार से पीड़ित हैं और 2017 तक भारत में कुल आबादी का 14 प्रतिशत से अधिक हिस्सा मानसिक विकारों के विभिन्न रूपों से पीड़ित है. इस हिस्से में भारत की अधिकांश वृद्ध वयस्क महिलाएं शामिल हैं. भारत में मेंटल हेल्थ की समस्या बहुत अधिक है. आंकड़े बताते हैं कि 5 में से एक व्यक्ति इस समस्या से पीड़ित है. भारत में सबसे आम मानसिक स्वास्थ्य विकारों में से कुछ में शामिल हैं.
मेंटल हेल्थ खराब होने होने वाली बीमारी
डिप्रेशन
दुनिया भर में बीमारी के बोझ में एक प्रमुख योगदानकर्ता, अवसाद का इलाज न किए जाने पर आत्महत्या हो सकती है.
स्ट्रेस-टेंशन
काफी संख्या में भारतीय चिंता विकारों से पीड़ित हैं, जिनमें हृदय गति में वृद्धि, हाइपरवेंटिलेशन और क्रोनिक थकान जैसे कुछ लक्षण शामिल हैं.
सिज़ोफ्रेनिया
एक मानसिक स्थिति जो लोगों को ऐसी चीजें देखने, सुनने और महसूस करने का कारण बन सकती है जो वास्तविक नहीं हैं.
भागदौड़ भरी जिंदगी और काम का तनाव मेंटल हेल्थ बिगाड़ने का काम कर रहा है. यही कारण है कि मानसिक समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. हर उम्र के लोग इससे जूझ रहे हैं. हालांकि, मेंटल हेल्थ से जुड़ी बीमारियां अचानक से नहीं होती हैं,इसके कुछ शुरुआती संकेत मिलते हैं. अगर इन्हें समय पर पहचान लिया जाए तो आसानी से बचा जा सकता है.
ऐसे में जानिए 5 ऐसे संकेत जो बताते हैं कि आपकी मेंटल हेल्थ खराब हो रही है...
1. ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
अगर ध्यान केंद्रित करने, फैसले लेने या किसी काम को करने में परेशानी आ रही है तो सावधान हो जाइए, क्योंकि ये मेंटल हेल्थ खराब होने के संकेत हो सकते हैं. यह भूलने की बीमारी है. अगर शुरुआत में डॉक्टर की मदद ले ली जाए तो सुधार हो सकता है.
2. डिप्रेशन
डिप्रेशन अगर कंट्रोल में है तो ठीक है, वरना स्थिति गंभीर हो सकती है. डिप्रेशन हावी होने से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं. ये मेंटल हेल्थ बिगड़ने के संकेत हैं. ऐसी कंडीशन में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
3. नींद न आना
अनिद्रा की वजह से हर समय थकान रहती है. इससे शरीर में आलस आता रहता है. नींद पूरी न होने से मेंटल हेल्थ की समस्याएं हो सकती हैं. सोने में परेशानी हो तो जितना जल्दी हो सके डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, ताकि इससे बचा जा सके.
4. तनाव-चिंता
अगर हर दिन किसी चीज को लेकर चिंता बढ़ रही है और तनाव परेशान कर रहा है तो यह मेंटल हेल्थ खराब होने के संकेत हैं. शरीर के इस इशारे को समझना चाहिए. इससे बचने के लिए खुद पर कंट्रोल करना चाहिए. तुरंत जाकर डॉक्टर से मिलना चाहिए.
5. अकेलापन महसूस होना
जब तनाव बहुत ज्यादा बढ़ता है तो घर-परिवार, रिश्तेदार और दोस्त से दूरी बनने लगती है. अगर आप अकेला महसूस कर रहे हैं तो इसे अनदेखा न करें. यह मेंटल हेल्थ बिगड़ने का संकेत है. अकेलापन चिंता बढ़ा सकता है. ऐसे में तुरंत जाकर एक्सपर्ट्स से सलाह लेनी चाहिए.
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लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन का क्या है पूरा मामला?
दरअसल, हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन ने का था कि मुझे इस बात का बहुत दुख है कि मैं अपने एंप्लॉय से संडे के दिन काम नहीं ले पाता हूं. जबकि मैं संडे के दिन काम करता हूं. मुझे हैरानी होती है कि कैसे आप संडे के दिन घर पर बैठ सकते हैं. घर बैठकर अपनी पत्नी को घुरने से अच्छा है कि ऑफिस आ जाओ. इसी बयान के बाद एसएन सुब्रह्मण्यन सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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