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Heart Attack: इस बीमारी की जड़ है डिफेक्टिव प्रोटीन, दिल को दे सकता है जोर का झटका
दिल की बीमारी के कई कारक होते हैं. डिफेक्टिव प्रोटीन भी ऐसे ही बडे़ कारकों में से एक है. जिनसे हार्ट अटैक आने का खतरा बेहद अधिक होता है.
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Heart Problem: खराब लाइफ स्टाइल के कारण हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटिज, मोटापा जैसी बीमारियां घर कर रही हैं. इन्हीं से हार्ट डिसीज का भी गहरा नाता होता है. पिछले दो साल में हार्ट अटैक से मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव समेत कई सेलीब्रिटीज की जान जा चुकी है. लेकिन क्या केवल लाइफ स्टाइल ही हार्ट को कमजोर करने या हार्ट अटैक के लिए जिम्मेदार है. डॉक्टर कहते हैं कि लाइफ स्टाइल सुधारकर हार्ट की सेहत बेहतर की जा सकती है. लेकिन हार्ट डिसीज से बचने के लिए और भी सावधानियां जरूरी हैं. बॉडी में ऐसा डिफेक्टिव प्रोटीन होता है. जिसकी मौजूदगी से हार्ट अटैक का खतरा बेहद बढ़ जाता है.
डिफेक्टिव प्रोटीन से होती है एमीलॉयड कार्डियोमायोपैथी बीमारी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों का कहना है कि एमोलॉयड कार्डियोमायोपैथी दिल से जुड़ी रेयर डिसीज है. इसे कार्डिएक एमलायोडोसिस भी कहा जाता है. इस बीमारी के होने के पीछे डिफेक्टिव प्रोटीन का होना होता है. यह बॉडी में धीरे धीरे बन रहा होता है. इसी डिफेक्टिव प्रोटीन की वजह से हार्ट सही ढंग से काम नहीं कर पाता है और हार्ट अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि एमीलॉयड कार्डियोमायोपैथी बीमारी होने के पीछे अन्य फैक्टर भी जिम्मेदार होते हैं.
दो तरह की होती है Cardiomyopathy
कार्डियोमायोपैथी दो तरह की होती है. पहली डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी और दूसरी हाइपर टोफिक कार्डियोमायोपैथी होती है. डायलेटिड कार्डियोमायोपैथी में हार्ट के ब्लड पंप करने वाले चैंबर कमजोर हो जाते हैं. हार्ट सही ढंग से ब्लड फलो नहीं कर पाता है. हाइपर टोफिक कार्डियोमायोपैथी में हार्ट मसल्स पतली हो जाती हैं. इसमें ब्लड आगे नहीं बढ़ पाता.
ट्रांसथायरेटिन प्रोटीन बनता है बीमारी की जड़
डॉक्टरों का कहना है कि ट्रांसथायरेटिन एमीलॉयड कार्डियोमायोपैथी एक रेयर डिसीज है, यह हार्ट में बनने वाले ट्रांसथायरेटिन फिबरिल्स के बनने के कारण हो जाती है. इस प्रोटीन का काम विटामिन और थायरोक्सीन हार्माेन को बॉडी के अन्य हिस्से तक पहुंचाना है. लेकिन असंतुलन पर यह प्रोटीन दिल पर ही भारी पड़ जाता है. यह बीमारी ठीक नहीं होती है, केवल इसे दवा से नियंत्रित किया जा सकता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि और तरीकों को केवल सुझाव के रूप में लें. किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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