नई दिल्लीः  केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक जांच से यह पता चला है कि राजधानी दिल्ली की हवा में कुछ खतरनाक टॉक्सिंस जैसे कि मर्करी और फार्मेल्डीहाइड पाए गए हैं, यह कहना बहुत मुश्किल है कि अभी इनका स्तर कितना ज़्यादा है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इनका तो हवा में रहना ही बहुत खतरनाक है.


हवा में मौजूद होते हैं ये एयर टॉक्सिंस-
सीपीसीबी के स्टेशन ने सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2), ओजोन (ओ3), नाइट्रिक ऑक्साइड (एनओ), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2), फार्मेल्डीहाइड (एफओआर), बेंज़ीन (बेन), टोल्यूईन (टीओएल), पी-एक्सलीन (पीएक्सवाई) और मर्करी (एचजी) जैसे टॉक्सिंस को मॉनिटर किया है इनमें से ज़्यादातर को अमेरिका और यूरोप में एयर टॉक्सिंस के रूप में कैटेगराईज़ किया गया था. लेकिन अब भारत में भी ये टॉक्सिंस मॉनिटर हो रहे हैं. ये सब गैस, पार्टिकल्स या एयरोसल्स हैं, जो हवा में मौजूद है और हमारी हेल्थ के लिए बहुत ज़्यादा खतरनाक हैं.


मर्करी से सेहत को होने वाले खतरे-




  • मर्करी सांस के जरिए शरीर में जाने से दिमाग और व्यवहार पर असर डाल सकता है. जैसे कि दौरे पड़ना, भावनात्मक अस्थिरता और सिरदर्द हो सकता है.

  • ये किडनी और थायराइड ग्रंथि को भी नुकसान भी पहुंचा सकते हैं.

  • ज़्यादा मात्रा में मर्करी टॉक्सिन शरीर में जाने से मौत का जोखिम भी रहता है.

  • इन प्रदूषकों से कैंसर जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है.


फार्मेल्डीहाइड से सेहत को होने वाले खतरे-




  • फार्मेल्डीहाइड से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है.

  • यह नाक और गले दोनों ही के लिए हानिकारक है. इससे गले में खराश, जलन, और नाक से सांस लेने में जलन हो सकती है.

  • अगर फार्मेल्डीहाइड ज़्यादा मात्रा में शरीर के अंदर चला जाए तो इससे न्यूमोनिया, क्रोनिक ब्रॉन्काइटिस हो सकता है.

  • कई गंभीर मामलों में मौत तक हो सकती है.

  • फार्मेल्डीहाइड आंखों के लिए भी बहुत खतरनाक होता है, इससे आंख में जलन, खुजली और लाली नज़र आ सकती है. यही नहीं अगर फार्मेल्डीहाइड ज़्यादा स्तर में जाए तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है.

  • फार्मेल्डीहाइड स्किन के लिए भी हानिकारक होता है इससे शरीर में खुजली हो सकती है रेशेज़ भी हो सकते हैं.

  • फार्मेल्डीहाइड से पेट को भी नुकसान हो सकता है जिससे उल्टी और पेट में दर्द की समस्या हो सकती है.


रेस्पिरेट्री एलर्जी और इंफेक्शंस के मामले बढ़े-
ज़्यादा ठंड की वजह से भी प्रदूषण बढ़ता है और इस बार दिल्ली में ठंड भी बहुत पड़ी है जनवरी में भी देखा गया था कि रेस्पिरेट्री एलर्जी और इंफेक्शंस वाले लोगों की संख्या बढ़ गई थी.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
अपोलो अस्पताल के चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ राजेश चावला का कहना है कि इस बार सांस लेने में तकलीफ होने वाले मरीज़ों की संख्या 30% से ज़्यादा बढ़ गई थी. जब प्रदूषण का स्तर बहुत ज़्यादा होता है तो केवल फेफड़े की बीमारियों वाले लोग ही बीमार नहीं होते बल्कि लगभग अधिकत्तक लोग गले में दर्द, जलन, नाक बंद और जलती हुई या सूखी आंखों की शिकायत कर रहे थे.


बच्चों पर असर-
बच्चे अधिक संवेदनशील होते हैं क्योंकि वे शरीर के वजन के हिसाब से अधिक तेजी से सांस लेते हैं जिसकी वजह से वह ज़्यादा मात्रा में प्रदूषकों को अपने अंदर लेते हैं जो उनके फेफड़े और इम्यून सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है. ज़्यादातर वे अपने मुंह से भी सांस लेते है जिससे प्रदूषक और ज़्यादा मात्रा में उनके अंदर जाते है जो कि उनके लिए बहुत खतरनाक हो जाता है.


बचने के उपाय-




  • डॉक्टरों की सलाह है कि गाड़ी चलाते समय खिड़कियां बंद करके रखें.

  • सुबह के समय बाहर मास्क लगाकर ही जाएं क्यूंकि सुबह के वक्त ठंड ज़्यादा होने की वजह से प्रदूषण भी ज़्यादा होता है.

  • कोशिश करें बाहर कम से कम जाएं.


क्या कहते हैं आंकड़े-
2014 से 2016 के बीच रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम्स के कारण दिल्ली में मरने वालो की संख्या में 66% बढ़ोत्तरी हुई थी. राज्य सरकार द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी दिल्ली में हर साल लगातार वायु प्रदूषण का स्तर बिगड़ने से वर्ष 2014 में 5,516 से बढ़कर 2016 में 9,149 लोगों की मौत हुई.


ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.