नयी दिल्लीः दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचने के साथ सांस संबंधी समस्याओं के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. डॉक्टर्स का कहना है कि कई लोगों में सांस संबंधी समस्या जानलेवा स्थिति में भी पहुंच सकती है.


एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बताया कि सांस लेने में दिक्कत, खांसी, छींकने, सीने में जकड़न और एलर्जी एवं दम फूलने की शिकायतों के साथ मरीज ओपीडी में आ रहे हैं. सांस और हृदय संबंधी समस्याओं का उपचार कराने के लिए आने वाले मरीजों की संख्या में करीब 20 फीसदी बढ़ोतरी हुई है.


बहरहाल, उन्होंने कहा कि एन95 मॉस्क और एयर प्यूरीफायर से पूर्णकालिक राहत नहीं मिलने वाली है और इस बात पर जोर दिया कि इस संकट से निपटने के लिए दीर्घकालिक कदमों की जरूरत है.


गुलेरिया ने दिल्ली में धुंध की स्थिति की तुलना लंदन में 1952 के ‘ग्रेट स्मॉग’ से की. लंदन में उस समय वायु प्रदूषण के कारण 4,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.


सफदरजंग अस्पताल में श्वसन संबंधी औषधि विभाग के प्रमुख जेसी सूरी ने कहा कि पिछले दो दिनों में मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है.


उन्होंने कहा कि धुंध का तत्काल प्रभाव खांसी, गले में संक्रमण और न्यूमोनिया है, लेकिन दीर्घकालिक प्रभाव बहुत खतरनाक हो सकते हैं और इससे फेफड़े का कैंसर भी हो सकता है.


ये कहना है स्वास्थ्य मंत्रालय का-




  • राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में पिछले कुछ दिन से खराब होती आबोहवा और वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने परामर्श जारी कर कहा कि सांस लेने में कठिनाई महसूस कर रहे लोगों और बच्चों को यथासंभव घरों के अंदर ही रहना चाहिए और अधिक परेशानी होने पर डॉक्टर को दिखाना चाहिए.

  • मंत्रालय ने परामर्श में कहा कि अगर लोगों को सांस लेने में कठिनाई महसूस हो रही है तो उन्हें घर के अंदर रहना चाहिए.

  • बच्चों को भी यथासंभव ज्यादा से ज्यादा घरों में ही रखने का प्रयास करना चाहिए.

  • लोगों को सुबह की सैर करने से या ऐसी किसी भी मेहनत वाली बाहरी गतिविधि से बचना चाहिए जिससे सांस तेज हो जाती हो.

  • लोगों को सलाह दी जाती है कि अधिक से अधिक पानी और तरल पदार्थों का सेवन करें.

  • बाहर या अंदर कहीं भी सिगरेट आदि नहीं पीएं और डियोडरेंट और रूम स्प्रे का इस्तेमाल भी कम से कम कर देना चाहिए.

  • लोगों से धुएं या भारी धूल वाले इलाकों में जाने से बचने की सलाह दी गयी है.

  • जिन लोगों को हृदयरोग या सांस लेने की पुरानी दिक्कत अथवा दमा हो उन्हें अपने डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं लेनी चाहिए.

  • यह भी कहा गया है कि अगर सांस लेने में कठिनाई हो रही है, सांस तेज हो रही हो, सांस फूल रही हो या बार-बार खांसी या छींक आ रही हो तो लोगों को डॉक्टरों को दिखाना चाहिए.