Coronavirus: कोरोना के डेल्टा वेरिएन्ट को वेरिएन्ट ऑफ कंसर्न के तौर पर परिभाषित किया गया है. दुनिया के कई दूसरे देशों समेत भारत में डेल्टा प्रमुख वेरिएन्ट ऑफ कंसर्न है. मार्च 2020 में पहला मामला सामने आने के बाद इस वेरिएन्ट में कई बदलाव भी देखे गए हैं. वैज्ञानिकों ने कहा है कि भारत में कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएन्ट से मिलता-जुलता AY.4 स्ट्रेन के मामले बढ़ रहे हैं, विशेषकर महाराष्ट्र में. हालांकि, अभी ये पता नहीं चल पाया है कि क्या AY.4 स्ट्रेन चिंता की बात है.


डेल्टा वेरिएन्ट से मिलता-जुलता AY.4 स्ट्रेन के मामलों में वृद्धि


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल में महाराष्ट्र से लिए गए सैंपल में एक फीसद AY.4 स्ट्रेन पाया गया. सैंपल की जांच भारतीय कोविड-19 जिनोम सर्विलांस के तौर पर की गई थी. उसका अनुपात जुलाई में बढ़कर 2 फीसद और अगस्त में 44 फीसद हो गया. अगस्त से विश्लेषण के लिए लिए 308 सैंपल में से 111 (36 फीसद) में डेल्टा B.1.617.2 का खुलासा हुआ और उनमें से 137 सैंपल (44 फीसद) में AY.4 स्ट्रेन था. पिछले सप्ताह ताजा जिनोम सिक्वेंसिंग की प्रक्रिया लैब में पूरी हुई. उसमें भी AY.4 समेत  ‘डेल्टा डेरिवेटिव’ पाया गया.


एक सूत्र का कहना है कि पहले डेल्टा प्लस के नाम से पहचाने जानेवाले 'डेल्टा और उसके डेरिवेटिव' को अभी तक अलग नहीं माना जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई बीएमसी की टीम मरीजों की मेडिकल रिपोर्ट को समझने के लिए डेल्टा रिपोर्ट को मिलाने की प्रक्रिया में है. उससे पता चलेगा कि 'क्या और कैसे वेरिएन्ट्स ने कोविड-19 के लक्षणों और गंभीरता को बदल दिया है.'


वैज्ञानिकों ने कहा चिंता की बात का नहीं चल पाया है पता


रिपोर्ट में एक डॉक्टर के हवाले से बताया गया, "कोई वेरिएन्ट चिंता की बात उस वक्त बनता है जब हम स्थापित कर सकें कि क्या उसका ट्रांसमिशन बढ़ गया है या फिर संक्रमण का कारण है या क्या ये ब्रेकथ्रू संक्रमण की वजह बन सकता है." शुक्रवार को बेंगलुरु के कोरोना संक्रमित लोगों का सैंपल जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे गए थे. इस दौरान डेल्टा के तीन स्वरूप और उसके उप-स्वरूप AY.4 और AY.12 सभी आयु समूहों में प्रभावी रहा.


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