Dementia Old Age: बूढ़ा तो हम सभी को होना है और बढ़ती उम्र के साथ-साथ शरीर की ऊर्जा का स्तर (Energy Level) भी घटता है साथ ही आकर्षण भी. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कोई व्यक्ति बुढ़ापे (Old Age) में भी अपना आकर्षण बनाए रख सकता है और खुद को उम्र संबंधी बीमारियों (Old Age Disease) से भी बचा सकता है. फिर चाहे उसकी उम्र कितनी भी क्यों न हो जाए.


आपको 'वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2022' में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाली 94 साल की दादी भगवानी देवी याद हैं न? एकदम फिट और ऐक्टिव. उनके चेहरे का ग्लो और ऑरा देखिए... आप चाहें तो आप भी आपका बुढ़ापा भी इसी तरह शानदार हो सकता है. इस संबंध में यहां कुछ जरूरी बातें बताई जा रही हैं.


दिमाग कैसे काम करता है?


बायक्रेस्ट (Baycrest) द्वारा की गई एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि जो लोग धूम्रपान (Smoking), एल्कोहॉल (Excessive alcohol use), डायबिटीज (Diabetes) और सुन न पाने की समस्या (hearing loss) की समस्या से ग्रसित नहीं होते हैं, उनका ब्रेन उतना ही ऐक्टिव, फिट और क्रिऐटिव होता है, जितना की 10 से 20 साल की उम्र में होता है.


अगर डिमेंशिया के रिस्क फैक्टर से जुड़ी एक भी आदत व्यक्ति के अंदर होती है तो यह एक आदत ही उसकी 3 साल की अनुभूति को कम कर देती है. यानी आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि उस व्यक्ति के दिमाग की अनुभूति ( cognition) या चीजों का अनुभव करने और परिस्थितियों के समझकर उनके अनुसार व्यवहार करने की क्षमता की उम्र तीन साल तक घट जाती है. यानी एक एक तरह से अपने दिमाग की कार्यक्षमता की उम्र तीन साल कम कर देते हैं.


डिमेंशिया से कैसे बचें?


इस रिसर्च से जुड़े शोधकर्ताओं ने स्मृति (Memory) और ध्यान परीक्षणों (attention) पर प्रतिभागियों के प्रदर्शन को देखा और यह जानने का प्रयास किया कि आखिर मनोभ्रंश यानी डिमेंशइया (dementia) के लिए ये कारण ब्रेन को किस तरह प्रभावित करते हैं. ये मुख्य कारक हैं...



  • कम शिक्षा (हाई स्कूल डिप्लोमा से कम)

  • सुनने की क्षमता की हानि (hearing loss)

  • कोई दिमागी चोट (traumatic brain injury)

  • शराब या मादक द्रव्यों का सेवन

  • उच्च रक्तचाप (Hypertantion)

  • धूम्रपान (वर्तमान में या पिछले चार वर्षों में)

  • मधुमेह (Diabetes)

  • अवसाद (Depression)


ये सभी फैक्टर ब्रेन की कॉग्नेंटिव हेल्थ को बुरी तरह प्रभावित करते हैं और इनमें से हर कारक दिमाग की कॉग्नेटिव हेल्थ (cognitive performance) को इतना कम करता है, जितना असर दिमाग पर तीन साल की उम्र डालती है. 


उदाहरण के लिए ऐसे समझें कि अगर आपके अंदर इनमें से एक भी आदत है तो आपका दिमाग 65 साल की उम्र में उतना बूढ़ा होगा जितना कि उसे 68 साल की उम्र में होना चाहिए. और यदि आपके अंदर से डिमेंशिया के सभी रिस्क फैक्टर मौजूद हैं तो आप खुद सोच लीजिए कि एक फैक्टर दिमाग की उम्र 3 साल बढ़ा रहा है तो ये सभी मिलाकर दिमाग का क्या हाल करेंगे.


कैसे दूर रहेंगे याददाश्त संबंधी समस्याएं?


आप चाहते हैं कि याददाश्त संबंधी समस्याएं आपको बुढ़ापे में भी परेशान ना करें तो आप इस बात की चिंता ना करें कि उम्र हर वक्त बढ़ रही है. बल्कि इस बात पर ध्यान दें कि आपकी लाइफस्टाइल में कोई ऐसा कारक शामिल ना हो, जो ब्रेन की हेल्थ को नुकसान पहुंचाता है. इनसे बचे रहने पर आप बुढ़ापे में भी आत्मनिर्भर, ऐक्टिव और स्मार्ट बने रहेंगे. क्योंकि आपका ब्रेन सही से काम करता रहेगा.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 


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