नई दिल्ली: भारत में हर साल किडनी फेल होने के लगभग 1,75,000 नए मामले सामने आते हैं और इन्हें डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है. क्रोनिक किडनी रोग (CK) मामलों में से लगभग 60 से 70 प्रतिशत मामले डायबिटीज और हाइपरटेंशन के कारण होते हैं.


मेदांता में नेफ्रोलॉजी, किडनी एंड यूरोलॉजी इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. श्याम बिहारी बंसल ने बताया, किडनी की बीमारियों की जांच किडनी के आकार और बनावट, ईकोजेनिसिटी, मूत्र-स्थान, रीनल आर्केटेक्चर और वास्क्यूलेचर पर निर्भर करती है.


डॉ. के मुताबिक, सीकेडी एक छिपा हत्यारा है और यदि इसे ठीक से ट्रीट न किया जाए, तो यह हृदय रोग और किडनी फेल होने का खतरा बढ़ा सकता है. किडनी के पुराने रोगियों को अक्सर आखिरी स्टेज में किडनी फेल्योर के रूप में ही पहचान हो पाती है. किडनी संबंधी कुछ रोग गर्भवती महिलाओं को भी प्रभावित कर सकते हैं.


ये रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें.