नई दिल्ली: रमजान के पवित्र महीने में डायबिटीज की समस्या से गुज़र रहे अनेक मुसलमान रोज़ा रखते हैं और ऐसी स्थिति में डायबिटीज संबंधी सावधानी बरतना और भी जरूरी हो जाता है.
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के कंसलटेंट फिजिशियन और डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. राजीव बंसल के अनुसार, रोज़ा रखने के दौरान डायबिटीज का बेहतर प्रबंधन बहुत जरूरी है. चलिए जानते हैं इससे संबंधित कुछ उपायों के बारे में.
- रोज़ा के दौरान और रमजान के बाद डॉक्टर से सलाह करके दवाओं और रोज़ा को सहने के तरीकों पर बातचीत करनी चाहिए.
नियमित रूप से ब्लड ग्लुकोज स्तर जांचते रहें और डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाओं की खुराक और समय को व्यवस्थित करते रहें.
रोज़ा के दौरान हाइपोग्लेसेमीआ या डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ने के कारण कठोर परिश्रम की मनाही रहती है, फिर भी डायबिटीज के मरीजों को रमजान के दौरान नियमित रूप से हल्के से व्यायाम करने चाहिए. - मरीज को याद दिलाते रहें कि उन्हें तरावीह नमाज़ में झुकने और उठने जैसी शारीरिक मेहनत को अपना दैनिक व्यायाम मानना चाहिए.
- रमजान के दौरान बेहद जरूरी है कि अपना ग्लुकोज लेवल नियंत्रित रखें. अपने डॉक्टर से मिलें और सलाह लें.
ये एक्सपर्ट के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.