साइलेंट किलर हैं ये 5 बीमारियां, धीरे-धीरे शरीर को करती रहती हैं खत्म... इनके बारे में जरूर जान लें
साइलेंट किलर उन बीमारियों को कहा जाता है. जो एक साथ व्यक्ति की मौत का कारण नहीं बनती हैं. लेेकिन धीरे धीरे आर्गन को डेमेज कर रही होती हैं. इन बीमारियों के लक्षणां के बारे में जानना जरूरी है.
1. हाइपरटेंशन
हाइपरटेंशन, इसे हाई ब्लड प्रेशर भी कहा जाता है. ब्लड प्रेशर होता क्या है? पहले इसे समझ लेते हैं. हार्ट का काम बॉडी के विभिन्न आर्गन तक ब्लड पहुंचाने के लिए पंप करता है. एक निश्चित समय में ब्लड बॉडी के हर आर्गन से गुजर रहा होता है. लेकिन तनाव व अन्य कारण से हार्ट दबाव मानने लगता है और ब्लड पंप करने की गति को बढ़ा देता है. इसे ही हाई ब्लड प्रेशर होना कहा जाता है. नीचे वाला ब्लड प्रेशर 80 एमएमएचजी और उपर वाला 120 एमएमएचजी होना चाहिए. लेकिन कई बार मरीजों का ब्लड प्रेशर 180 से 200 एमएमएचजी तक चला जाता है. यह हाइ ब्लड प्रेशर यानि हाइपरटेंशन की स्थिति है. यह कंडीशन अलार्मिंग होती है. विशेष बात यह है कि ब्लड प्रशेर धीरे धीरे हाई होता है और इसके लक्षणों की जानकारी नहीं हो पाती है. इसलिए इस बीमारी को साइलेंट किलर कहा जाता है. इससे ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक आने का बहुत अधिक खतरा बढ़ जाता है.
2. हाई कोलेस्ट्रॉल
उच्च कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर भी कहा जाता है. यह पेशेंट में तब तक कोई लक्षण पैदा नहीं करता है जब तक कि इसका लेवल खतरनाक स्तर पर नहीं पहुंच जाता है. उच्च कोलेस्ट्रॉल तब होता है जब रक्त में एलडीएल खराब कोलेस्ट्रॉल नामक वसायुक्त पदार्थ का अत्यधिक निर्माण होता है. यह मुख्य रूप से जंक फूड, शराब का सेवन, खराब लाइपफ स्टाइल, धुम्रपान जैसी आदतों के कारण होता है. इससे हार्ट अटैक आने की संभावना बेहद अधिक होती है.
3. डायबिटीज
मधुमेह तब होता है जब किसी पेशेंट के ब्लड में बहुत अधिक ग्लूकोज या रक्त शर्करा होता है. यह तब होता है जब पैनक्रियाज प्रॉपर इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या जब शरीर इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर सकता है. मधुमेह एक स्वास्थ्य संबंधी बीमारी है. इसे भी साइलेंट किलर कहा जाता है. अधिकांश मामलों में रोगियों को यह पता नहीं होता है कि उनको डायबिटीज हो चुकी है. जब गंभीर लक्षण दिखते हैं. तब उन्हें पता चल पाता है.
4. कैंसर
कैंसर के लक्षणों को देखते हुए उसे साइलेंट किलर ही माना जाता है. स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, डिम्बग्रंथि के कैंसर और फेफड़ों के कैंसर सहित अधिकांश कैंसर साइलेंट होते हैं, यानि लंबे समय तक इनके लक्षण नहीं दिखते हैं. रूटीन जांच होने पर ही इसकी जानकारी की जा सकती है. कैंसर की पुष्टि होने पर तुरंत इलाज शुरू करा देना चाहिए.
5. फैटी लीवर
फैटी लीवर रोग दो तरह के हो सकते है. नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिसीज और अल्कोहलिक फैटी लीवर डिसीज, जिसे अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस भी कहा जाता है. नॉन अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज एक प्रकार का फैटी लिवर है जो शराब के सेवन से नहीं जुड़ा है. जबकि अल्कोहलिक फैटी लीवर डिजीज अधिक शराब पीने से होता है. फैटी लिवर की बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है. लंबे समय तक इसके लक्षण नहीं दिखते हैं. यह साइलेंट किलर का काम करती है. इससे पेशेंट को पीलिया, हेपेटाइटिस बी या लिवर का अन्य गंभीर संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है.
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