Diabetes Tests: असंतुलित जीवन शैली की सबसे बड़ी बीमारी मानी जाने वाली बीमारी में शुगर यानी डायबिटीज (diabetes)का नाम सबसे पहले आता है. शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा ज्यादा हो जाने की स्थिति ज्यादा हो जाने पर डायबिटीज होती है और इस सिचुएशन में शरीर कई अन्य सारी परेशानियों का शिकार हो जाता है. भारत में ये बीमारी तेजी से  बढ़ती जा रही है. बीमारी के बारे में जागरुकता की कमी और गलत लाइफस्टाइल के चलते करोड़ों लोग इसकी चपेट में हैं. भारत जैसे देश में लोग इस बीमारी के लक्षणों के बारे में ज्यादा जान नहीं पाते और ना ही ये जानकारी होती है कि इस बीमारी की पहचान कैसे होती है. चलिए आज आपको बताते हैं कि शुगर यानी डायबिटीज की पहचान के लिए कौन कौन से टेस्ट करवाए जाते हैं. 

 

इन Test के जरिये लग सकता है डायबिटीज का पता 

आपको बता दें कि डायबिटीज की पहचान के लिए टेस्ट करवाना जरूरी है और भारत में कई तरह के डायबिटीज टेस्ट उपबल्ध हैं. ये टेस्ट  शरीर में ब्लड शुगर लेवल की जांच करके खून में ग्लूकोज की मात्रा का पता चलता है. इन टेस्ट के आधार पर तय होता है कि किसी व्यक्ति को डायबिटीज है या नहीं और अगर है तो वो किस लेवल पर है. 

 

फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट      (Fasting Plasma Glucose (FPG) Test)

डायबिटीज की पहचान के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (NIDDK) द्वारा कुछ टेस्ट बताए गए हैं. इनमें फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट (FPG) का नाम सबसे पहले आता है. इसमें व्यक्ति को आठ घंटे के उपवास के बाद खून का नमूना लिया जाता है. ये टेस्ट आमतौर पर सुबह के समय होता है जब व्यक्ति रात भर भूखा रहने के बाद खाली पेट इसे करवाता है. 

 

रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट   
  
 

(Random Plasma Glucose)

ये टेस्ट आमतौर पर एमरजैंसी शुगर टेस्ट कहा जाता है. जैसे किसी को शुगर के लक्षण दिख रहे हैं औऱ वो सुबह के वक्त इसका टेस्ट नहीं करवा सकता है तो रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है. 

 

पोस्टप्रैन्डियल ब्लड शुगर टेस्ट      

(Postprandial Blood Sugar Test)

इस टेस्ट को खाना खाने के दो घंटे बाद किया जाता है. इसका मकसद होता है, भोजन करने के बाद शरीर में बने ग्लूकोज का स्तर मापना, क्योंकि भोजन करने के दो से तीन घंटों बाद शरीर में ग्लूकोज का लेवल सबसे ज्यादा होता है. 

 

एचबीए1सी परीक्षण  (HbA1c test)

एचबीए1 टेस्ट एक या दो दिन का नहीं बल्कि पिछले तीन महीनों के ब्लड शुगर लेवल की जानकारी देता है. इस टेस्ट को आमतौर पर डायबिटीज के मरीज ही करवाते हैं ताकि वो अपने  स्वास्थ्य पैरामीटर निर्धारित कर सकें. 

 

ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (ओजीटीटी) 

प्रेग्नेंसी में डायबिटीज की स्थिति पता करने के लिए ये टेस्ट करवाया जाता है. इसमें पहले खून का नमूना लिया जाता है और फिर मरीज को ग्लूकोज का पानी पिलाया जाता है और दो घंटे बाद फिर खून का नमूना लिया जाता है. इस टेस्ट को सामान्य भाषा में ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट कहा जाता है.

 

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