Brain Dead: कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव(comedian raju shrivastava) इस दुनिया में नहीं रहे. राजू श्रीवास्तव के ट्रीटमेंट के दौरान अफवाह फैली कि उनका ब्रेन डेड हो गया है. किसी ने कोमा तो किसी ने डीप कोमा में जाना बताया. हालांकि अभी तक एम्स की ओर से बयान जारी कर नहीं बताया है कि राजू श्रीवास्तव किस कंडीशन में थे.  कोमा, ब्रेन डेड और डीप कोमा की स्थिति आखिर थी क्या? कैसे व्यक्ति इस कंडीशन में पहुंचता है. क्या कुछ वेंटिलेटर पर पड़े रोगी के शरीर में चलता है. आइए इसी पर बात करते हैं.



पहले कोमा को समझ लीजिए
यह लंबी बेहोशी की हालत है. इसमें व्यक्ति को पता नहीं होता कि आसपास क्या चल रहा होता है. देखने पर लगता है कि व्यक्ति जिंदा है. लेकिन ऐसा लगता है जैसे सो रहा है. सोते हुए व्यक्ति को उठाया जा सकता है. कोमा वाले व्यक्ति को भयंकर दर्द के देने के बाद भी नहीं उठाया जा सकता है. हालांकि कोमा में व्यक्ति की धीरे धीरे सांस चल रही होती हैं. दिमाग में भी एक्टिविटीज रेयर देखने को मिलती है. दिमाग को छोड़कर शरीर के बाकि पार्ट्स किडनी, लिवर, फेफड़े, हर्ट आदि काम कर रहे होते हैं. गंभीर चोट लगने, ब्रेन में अधिक रक्त स्त्राव(blood flow in brain), ऑक्सीजन की कमी, जहरीले टॉक्सिन का इकट्ठा होना जैसे कई कंडीशन से व्यक्ति कोमा में पहुंचता है. विशेषज्ञ बताते हैं कोमा वाले मरीज की क्लिनिकली चेकअप में पुतलियां भी हिल जाती हैं.

अब ब्रेन डेड और डीप कोमा समझने की बारी
ब्रेन डेड होने का मतलब है कि दिमाग ने पूरी तरह काम करना बंद कर दिया है. यह स्थिति दिमाग में गंभीर चोट, ब्रेन को ऑक्सीजन न पहुंचना, ब्रेन में अधिक ब्लड फ्लो हो जाना, जैसी मुख्य वजहों की वजह से होता है. ब्रेन को छोड़कर सारा शरीर काम कर रहा होता है. ब्रेन डेड पेशेंट्स की बॉडी मूवमेंट, सांस लेना, आंखों की पुतली भी रिस्पांस देना बंद कर देती है. यदि डॉक्टर तेज टॉर्च से भी आंखों में रोशनी डाले तो भी मरीज रेस्पांड नहीं करता. चूंकि मरीज सांस नहीं ले रहा होता है, ऐसे में उसे आर्टिफिशयल सांस देने के लिए तुरंत वेंटिलेटर पर रखा जाता है. वेंटिलेटर के सहारे ही मरीज के किडनी, लिवर, हर्ट बाकि बॉडी पार्ट्स काम कर रहे होते हैं. इसी स्थिति को डीप कोमा कहा जाता है, यानि ब्रेन डेड या डीप कोमा की स्थिति कोमा की नेक्स्ट स्टेज है. न्यूरोलॉजिस्ट के अनुसार  ब्रेनडेड व्यक्ति का सही होना बहुत मुश्किल है. फिर भी ब्रेन डेड पेशेंट को ब्रेन डेड घोषित करने के लिए उसका 24 घंटे बाद परीक्षण किया जाता है. अगर 24 घंटे बाद मरीज का रेस्पांड पहले जैसा है तो उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है. 

ब्रेनडेड मरीज की रिकवरी बेहद मुश्किल
न्यूरोलॉजिस्ट बताते हैं कि ब्रेनडेड व्यक्ति कुछ घंटे या कुछ दिन ही जिंदा रह पाते हैं. धीरे धीरे उसके बाकि अंग काम करना बंद करने लगते हैं और व्यक्ति की डेथ हो जाती है. लेकिन ब्रेनडेड होने के पीछे उसके कारण जानना जरूरी है. मेडिसिन की हाईडोज, पॉइजन, सांप के काटने, ब्रेन का गंभीर इंफेक्शन, अन्य मानसिक बीमारी भी ब्रेनडेड का कारण हो सकती हैं. इनमें व्यक्ति के ठीक होने की संभावना कुछ अधिक होती है. यदि भयानक एक्सीडेंट, सिर ब्लीडिंग अधिक या फिर गंभीर स्टॉक, ब्रेन ट्यूमर जैसी स्थिति तो चांस न के बराबर हैं.

क्यों होता है ब्रेन डेड?
ब्रेनडेड सीधे तौर पर ब्रेन स्टेम से जुड़ा हैम ब्रेन स्टेम हमारे मस्तिष्क के पीछे की तरफ का एक भाग है. यह रीढ़ की हड्डी से लगा हुआ होता है. दिमाग के मध्य का हिस्सा होता है, इसलिए इसे मिड ब्रेन भी कहा जाता है. ब्रेन का यही पार्ट हमारे बोलने, पलके झपकने, दर्द महसूस करने, चलने, सांस लेने, एक्सप्रेशन देने आदि एक्टिविटीज को कंट्रोल करता है. ब्रेन स्टेम के डेड होने पर ब्रेन भी डेड हो जाता है. हालांकि मरीज को ब्रेन डेड करने से पहले डॉक्टरों का एक पैनल बनाया जाता है. वही उसका क्लिनिकल परीक्षण करता है. उसके बाद ही मरीज को ब्रेन डेड घोषित किया जाता है. इसकी सूचना मरीज के परिजनों को दे दी जाती है. वह चाहे तो मरीज के अंगदान भी कर सकते हैं.