Cardiac Arrest and Heart Attack symptoms: कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक दोनों ही दिल के रोग हैं. लेकिन दोनों में काफी अंतर होता है. क्योंकि इनके होने की वजह एकदम अलग होती हैं. हार्ट अटैक की बात करें तो यह माइल्ड (Mild Heart attack) भी हो सकता है और इसमें रोगी की जान बचाना कार्डियक अरेस्ट की तुलना में अधिक संभव हो पाता है. लेकिन कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) में रोगी को तुरंत इलाज चाहिए होता है, चंद मिनट की देरी भी जानलेवा होती है. इन दोनों बीमारियों में और क्या अंतर हैं, यहां इस बारे में बताया जा रहा है...
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में क्या अंतर है?
हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में बेसिक अंतर यह है कि हार्ट अटैक कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने और धमनियों में इस कोलेट्रॉल के कारण ब्लॉकेज होने के कारण होता है. इस ब्लॉकेज की वजह से ब्लड सप्लाई में बाधा आती है और हार्ट अटैक होता है. जबकि कार्डियक अरेस्ट हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में एक तरह की एरर आने की वजह से होता है. जिस कारण दिल अचानक से धड़कना बंद कर देता है.
हार्ट अटैक (Heart Attack)
हार्ट अटैक के केस में सबसे अच्छी बात यह है कि इस बीमारी के लक्षण एक से दो दिन पहले या फिर कुछ घंटे पहले से ही व्यक्ति के शरीर में दिखाई देने लगते हैं.
यदि लक्षणों को गंभीरता से लेते हुए समय पर डॉक्टर से कंसल्ट किया जाए तो रोगी को गंभीर स्थिति में पहुंचने से बचाया जा सकता है. इसलिए आपको हार्ट अटैक से पहले और इस दौरान नजर आने वाले लक्षणों के बारे में जरूर पता होना चाहिए. जैसे,
- सीने में तेज दर्द
- बिना कारण पसीना आना
- बेचैनी अनुभव होना
- जबड़े, गर्दन और पीठ में दर्द होना
- सांस लेने में कठिनाई होना
- सांस छोटी होना
- जल्दी-जल्दी सांस लेना
कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest)
यूं तो कार्डियक अरेस्ट में स्थिति अचानक खराब होती है. लेकिन यह स्थिति अपनी संपूर्णता में पहुंचे इससे पहले शरीर में कुछ लक्षण नजर आते हैं. जैसे...
- सीने में तेज दर्द होना
- चक्कर आना
- पल्स का धीरे-धीरे कम होना
- मानसिक रूप से कुछ सोच या समझ ना पाना
कार्डियक अरेस्ट के दौरान अचानक से व्यक्ति बेहोश होकर गिर जाता है और उसके मस्तिष्क तथा फेफड़ों के साथ शरीर के अन्य अंगों में ब्लड की सप्लाई बाधित होने लगती है और पल्स धीरे-धीरे बंद होने लगती है. इसलिए ऐसी स्थिति में उसे तुरंत सीपीआर (CPR) देने की आवश्यकता होती है. इसमें व्यक्ति को मुंह से सांस दिया जाता है और हार्ट पर बार-बार पुश किया जाता है. इसके साथ ही व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाना होता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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