नई दिल्ली: इस साल दुनियाभर में लोग बीमारियों से खूब परेशान रहे. कहीं निपहा जैसे गंभीर वायरस से दो-चार होना चुकाना पड़ा, तो कहीं कोलेरा और डिप्थीरिया जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ा. आज हम आपको ऐसी कुछ गंभीर बीमारियों के बारे में बताते हैं जिन्होंने लोगों को सालभर खूब रुलाया.


निपहा वायरस
निपहा वायरस को मेडिकल की भाषा में NIV कहा जाता है. सबसे पहले यह वायरस 1998 में मलेश‍िया के निपाह इलाके पाया गया था. उसी इलाके के नाम पर इसे निपहा वायरस नाम दिया गया. भारत में केरल का कोझिकोड़ जिला इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था. इस वायरस को फैलाने का मुख्य वाहक Fruit Bat यानी कि वैसे चमगादड़ थे जो फल खाते हैं.


निपाह वायरस की चपेट में आने पर दिमागी बुखार, सांस लेने में दिक्‍कत, तेज सिर दर्द और बुखार से होता है. इस वायरस से लड़ने के लिए अभी कोई वैक्‍सीन नहीं बन पाया है. निपहा से सावधानी ही इसका बचाव है. खासकर पेड़ से गिरे हुए फलों को न खायें क्योंकि हो सकता है इन्हें चमगादड़ों ने खाया हो जिसकी वजह से उनकी लार इनमें रह जाती है. इसके अलावा सुअर और संक्रमित इंसानों से दूरी बना कर रखें.


कोलेरा (हैजा)
कोलेरा जिसे आम बोलचाल की भाषा में हैजा कहा जाता है, इसकी वजह से भी इस साल कई लोगों को इस परेशानी का समना करना पड़ा. वैसे तो पिछले काफी वक्त से भारत में इस बीमारी का कोई खास केस देखने में नहीं आया था. लेकिन अप्रैल 2016 में नागपुर में एक शोभायात्रा निकली गई थी. इस शोभायात्रा में लगभग 8 से 9 हैजा के मरीज शामिल थे. जिसमें अधिकत्तर 10 साल से कम उम्र के बच्चे थे. जो कि उस समय इस बीमारी से पीडित थे. इसके बाद से ही ये बीमारी वहां रहने वाले लोगों में फैलने लगी.


ये बीमारी दुषित पानी, दुषित भोजन और ऐसे रोगी के संपर्क में आने से फैलती है जो इससे पहले से प्रभावित होते हैं. इस बीमारी से प्रभावित होने पर सफेद उलटियां, पतले दस्त और कमजोरी महसूस होने लगती है. इस बीमारी से बचने के लिए उबला हुआ पानी पीयें, ताजा खाना खायें, स्ट्रीट फूड खाने से बचे, शिकंजी पिएं, नमक-चीनी का घोल लें और बाहर का खाना खाने से बचें.


डिप्थीरिया
राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में गलाघोंटू बीमारी यानी डिप्थीरिया की वजह से कई मासूमों को जान गवांनी पड़ी. दिल्ली नगर निगम के तहत आने वाला महर्षि वाल्मीकि संक्रामक हॉस्पिटल में ही इस बीमारी की वजह से 11 दिनों में 12 बच्चों अपनी जान गंवानी पड़ी थी. डिप्थीरिया को हिंदी में गलाघोंटू भी कहा जाता है. कहने को तो ये बीमारी खत्म होती जा रही है लेकिन आज भी जानलेवा है.


डिप्थीरिया एक ऐसी बीमारी है जिसका बचपन में ही टीका लगाया जाता है. हालांकि, पिछले कुछ दशकों के दौरान इस बीमारी के मरीजों की संख्या लगातार घटती जा रही है क्योंकि सरकार बड़े पैमाने पर टीकाकरण कर रही है लेकिन अभी भी बीमारी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है. डिप्थीरिया बीमारी के दौरान मरीज को गले में खराश होती है उसके बाद हल्का बुखार आता है और धीरे-धीरे गला फूलने-सा लगता है. हालत इस कदर बिगड़ जाती है कि कुछ भी खाना-पीना भी मुश्किल हो जाता है और धीरे-धीरे करके बीमारी जानलेवा बन जाती है.


मलेरिया
इस साल मलेरिया से होने वाली मौतों के मामले में भारत को विश्व में चौथा स्थान पर रखा गया है. छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और उड़ीसा राज्यों में मलेरिया के अधिक मामलों की सूचना मिली थी. भारत ने 2027 तक मलेरिया मुक्त होने और 2030 तक इस बीमारी को समाप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है. मलेरिया के मामलों का पता लगाने और एक बड़ा जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है.


गंभीर मलेरिया के लक्षणों में बुखार और ठंड लगना, बेहोशी जैसी स्थिति होना, गहरी सांस लेने में परेशानी और सांस लेने में दिक्कत, असामान्य रक्तस्राव और एनीमिया के लक्षण और पीलिया शामिल हैं. मलेरिया मच्छर ताजे पानी में पनपते हैं. इसलिए आस-पास के क्षेत्रों में पानी जमा न होने दें. मच्छर मनी प्लांट के पॉट में और छत पर पानी के टैंकों में अंडे देते हैं. उन्हें साफ करते रहें.


पीला बुखार (यलो फीवर)
भारत इस मामले में खुशकिस्मत रहा की उसे पीला बुखार की बीमारी से दो चार नहीं होना पड़ा. लेकिन दक्षिण अफ्रीका में इस बीमारी की वजह से कई जिंदगियां काल के गाल में समा गई. पीला बुखाल को यलो फीवर के नाम से भी जाना जाता है. ये एक वायरल इन्फेक्शन है जो एक एडीस इजिप्ती मच्छर के कारण फैलता है. इस बीमारी के शुरुआती स्तर पर सिरदर्द, जी मिचलाना, बुखार और उल्टी जैसे लक्षण होते हैं. लेकिन गंभीर स्तर पर ह्रदय, लिवर, किडनी और रक्तस्राव की समस्याएं होती है.


इस बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके गंभीर स्तर पर पहुंच जाने के बाद 50 फीसदी मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है. अभी तक इसके लिए कोई मान्य वैक्सीन नहीं खोजी गई है. लेकिन इससे बचाव के लिए येलो फीवर का टीका लगवाने की सलाह दी जाती है.


कुपोषण
कुपोषण एक ऐसी गंभीर समस्या है जिससे सारे विश्व को लगतार जूझना पड़ रहा है. कुछ वक्त पहले ही खबर आई थी कि युद्ध की आग में जल रहे यमन के 85000 बच्चों की कुपोषण की वजह से मौत हो गई. वहीं अगर भारत की बात करें तो सरकार ने पिछले साल बताया था कि देश में 93 लाख से अधिक बच्चे गंभीर तीव्र कुपोषण 'सीवियर एक्यूट मालन्यूट्रीशन' से पीड़ित हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के अनुसार 2015 में 136 देशों से मिली जानकारी के अनुसार सबसे ज्यादा कुपोषण की समस्या भारत से थी.


कुपोषण को दूर करने के लिए रोटी, चावल, आलू और अन्य स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करें. दूध और डेयरी खाद्य पदार्थ- वसा और वास्तविक शर्करा के महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं. फलों और सब्जियों का अधिक सेवन किया जाना चाहिए. मांस, मुर्गी पालन, मछली, अंडे, सेम और अन्य गैर-डेयरी प्रोटीन के स्रोत शरीर का निर्माण करते हैं और कई एंजाइमों के कार्यो में सहायता करते हैं.


वायु प्रदूषण
एक रिपोर्ट में कहा गया था कि 2017 में करीब 12.4 लाख मौतों वायु प्रदूषण वजह से हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में वायु प्रदूषण के कारण 18 फीसदी लोगों ने समय से पहले या तो अपनी जान गंवाई या बीमार पड़ गए. इसमें भारत का आंकड़ा 26 फीसदी था. भारत में अत्यंत सूक्ष्म कणों-पीएम 2.5 के सबसे ज्यादा संपर्क में दिल्ली वासी आते हैं. उसके बाद उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा का नंबर आता है.

वायु प्रदूषण की समस्या से बचने के लिए कुछ आसान से उपाये अपनायें जा सकते हैं. जैसे अगर पास के मार्केट जाना है तो कार या बाइक के बजाय पैदल ही जाएं. जब संभव हो अपनी साईकिल से बाहर जाएं. जितना संभव हो सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल करें. निजी वाहनों के बदले स्कूल जाने के लिए स्कूल बस का इस्तेमाल करें. ऑफिस या काम पर जाने के लिए कार पूलिंग करें. घर में ऐरोसॉल का कम से कम इस्तेमाल करें. घर के आसपास अधिक से अधिक पौधे लगाएं.


ज़िका वायरस
ज़िका का सबसे पहला मामला युगांडा में 1947 में बंदरों में पाया गया था. इंसान में इसका सबसे पहला केस 1952 में युगांडा और तंजानिया में सामने आया था. वैज्ञानिक अफ्रीका के ज़िका जंगलों में पीला बुखार पर शोध कर रहे थे. वहीं पर इस वायरस की खोज की गई और उसी के आधार पर इसे जिका वायरस नाम दिया गया.


ज़िका वायरस एडीज मच्छरों से फैलता है. ये एक तरह की संक्रामक बीमारी है जो एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलती है. इस बीमारी की वजह से थकान, बुखार, लाल आंखे, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और शरीर पर लाल चकत्ते जैसी समस्या होती है. अभी तक इसके लिए भी कोई मान्य टीका नहीं खोजा गया है.


डेंगू
भारत को इस साल डेंगू से बड़ी मात्रा में दो चार होना पड़ा. डेंगू एडीज मच्छर के काटने से होता है इसलिए गर्मी और बारिश के मौसम में यह बीमारी तेजी से पनपती है. डेंगू के मच्छर हमेशा साफ़ पानी में पनपते हैं जैसे छत पर लगी पानी की टंकी, मटका और बाल्टियों में जमा पीने का पानी, कूलर का पानी, गमलो में जमा पानी आदि. वहीं, दूसरी ओर मलेरिया के मच्छर हमेशा गंदे पानी में पैदा होते हैं. डेंगू के मच्छर ज्यादातर दिन में काटते है. डेंगू होने पर इसके लक्षणों में तेज ठंड लगना और बुखार आना, कमर और सिर में तेज दर्द होना, खांसी और गले में दर्द होना, शरीर पर लाल दाने दिखाई देना और उल्टी होने जैसी चीजें होती हैं.


इससे बचाव के लिए पानी जमा न होने दें. कूलरों और बाल्टियों में पानी को एक या दो दिन में बदलते रहे. खाने में 'विटामिन सी' देने वाली चीजें जैसे टमाटर, आंवला और नींबू का सेवन अधिक करें. खाने में हल्दी का इस्तेमाल करें इसका एंटीबायोटिक तत्व आपके प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है. तुलसी को पानी में उबालकर और शहद मिलाकर पीने से डेंगू से बचा जा सकता है. पपीते के पत्तों में काफी मात्रा में प्लेटलेट्स होते हैं इसका रस पीने से डेंगू से बचाव होता है.अनार में भरपूर मात्रा में फोलिक एसिड और एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं. ये लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में सहायक होते हैं. बकरी का दूध डेंगू की बीमारी का सबसे उपयुक्त इलाज माना जाता है.


कैंसर
भारत में वयस्कों की मौत के लिए कैंसर सबसे प्रमुख कारणों में से है. विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2008 में यह 634,000 मौतों और करीब 949,000 नए मामलों का कारण बना था. भारत में पुरुषों में सिर और गर्दन कैंसर तथा ओरल कैविटी, लिप, फैरिंक्स तथा लैरिंक्स कैंसर प्राय: पाया जाता है. इनकी वजह से हर साल, देश में 105,000 नए मामले और 78,000 मौतें होती हैं.


इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीआरपी) के डेटा के मुताबिक, 2017 में भारत के चार राज्यों-बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में ओरल कैंसर के 15.17 लाख मामले सामने आए. उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 12.5 लाख मामले दर्ज किए गए हैं. कैंसर दुनियाभर में मौत का सबसे प्रमुख कारण है और 2008 में इसकी वजह से 76 लाख मौतें (सभी मौतों में लगभग 13 फीसदी) हुई थीं. 2030 में दुनियाभर में कैंसर की वजह से करीब 1.31 करोड़ मौतों की आशंका जताई गई है.


डायबिटीज

डायबिटीज मेटाबोलिक बीमारियों का एक समूह है, जिसमें व्यक्ति के खून में ग्लूकोज (ब्लड शुगर) का स्तर सामान्य से अधिक हो जाता है. ऐसा तब होता है, जब शरीर में इंसुलिन ठीक से न बने या शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के लिए ठीक से प्रतिक्रिया न दें. जिन मरीजों का ब्लड शुगर सामान्य से अधिक होता है वे अक्सर पॉलीयूरिया (बार-बार पेशाब आना) से परेशान रहते हैं. उन्हें प्यास (पॉलीडिप्सिया) और भूख (पॉलिफेजिया) ज्यादा लगती है.


गतिहीन जीवनशैली डायबिटीज के मुख्य कारणों में से एक है. रोजाना कम से कम 30-45 मिनट व्यायाम डायबिटीज से बचने के लिए आवश्यक है. सही समय पर सही आहार जैसे फलों, सब्जियों और अनाज का सेवन बेहद फायदेमंद है. लम्बे समय तक खाली पेट न रहें. उचित आहार और नियमित व्यायाम द्वारा वजन पर नियंत्रण रखें. कम वजन और उचित आहार से डायबिटीज के लक्षणों को ठीक कर सकते हैं. रोजना सात-आठ घंटे की नींद महत्वपूर्ण है. नींद के दौरान हमारा शरीर विषैले पदार्थों को बाहर निकाल कर शरीर में टूट-फूट की मरम्मत करता है.



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