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Disease X: कोविड-19 से ज्यादा खतरनाक तो नहीं है बीमारी X, जानिए इसके बारे में सबकुछ

बीमारी X जिसका नाम भले ही किसी हॉलीवुड फिल्म की तरह लग सकता है लेकिन असल जिंदगी में यह आने वाली मुसीबत है. इस बीमारी के बारे में कहा जा रहा है कि यह कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है.

बीमारी X जिसका नाम भले ही किसी हॉलीवुड फिल्म की तरह लग सकता है लेकिन असल जिंदगी में यह आने वाली मुसीबत है. इस बीमारी को गंभीरता से लेने की जरूरत है. हालांकि इसे लेकर कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते हैं कि यह कब लोगों को अपना शिकार बनाएगा लेकिन इसे लेकर तैयारियां पहले से ही करनी चाहिए ताकि इससे खुद को बचाया जा सके. COVID-19 महामारी की यादें आज भी जह्न से खत्म नहीं हुआ है वहीं अब डिजीज एक्स की चर्चा शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि यह एक रहस्यमय और घातक बीमारी है. जिसके लेकर तरह-तरह की बात सामने आ रही है. लेकिन सवाल यह उठता है कि डिजीज एक्स है क्या? इसकी तुलना कोविड-19 से क्यों कि जा रही है? जानें इस बीमारी के बारे में सबकुछ. 

डिज़ीज़ X कितनी ज्यादा खतरनाक है?

डिज़ीज़ X नाम 'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' (डब्ल्यूएचओ) ने साल 2016 में दिया था. यह एक काल्पनिक बीमारी के बारे में बताने के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया गया है. इस बीमारी को लेकर ऐसा अनुमान लगया जा रहा है कि भविष्य में यह बीमारी एक खतरनाक महामारी का रूप ले सकती है. यह कोई अलग तरह की बीमारी नहीं है लेकिन इससे होने वाले संक्रमण या कहें कि इंफेक्शन काफी तेजी से लोगों के बीच फैलेंगे. विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक 15-19 जनवरी, 2024 के मुताबिक 'डिज़ीज़ एक्स' कोरोनोवायरस महामारी की तुलना में 20 गुना अधिक मौतों का कारण बन सकती है.

फिलहाल इस बीमारी के बारे में कुछ खास पता नहीं चला है लेकिन इसका एक मरीज कांगो में मिला है. कांगो में मिले मरीज को तेज बुखार था और साथ ही आंतरिक रक्तस्त्राव भी हो रहा था. उसने इबोला का टेस्ट कराया लेकिन वह नेगेटिव आया. अब सवाल उठ रहे हैं कि कहीं यह डिजिज एक्स का पहला मरीज तो नहीं.

एक नई महामारी जोकि कोविड से 7 गुना ज्यादा खतरनाक है वह दस्तक दे सकती है. एक्सपर्ट ने इसकी तुलना 1918-1920 के खतरनाक स्पैनिश फ्लू से की है. यह कोई मामूली खबर नहीं थी बल्कि एक ऐसा डर जिसे पूरी दुनिया 2-3 साल पहले झेल चुका है. खबर यह थी कि साल 2020 में जिस तरीके से कोविड एक सर्दी-खांसी से शुरू हुआ और बाद में यह एक महामारी का रूप ले लिया. अब वापस से एक और महामारी आने वाली है. ऐसे में वापस से एक और महामारी झेलने की हिम्मत शायद ही लोगों के अंदर होगी. इस महामारी में 70 लाख लोगों ने जान गवाई. भारत सहित कई ऐसे देश हैं जहां अभी भी यह बीमारी है लेकिन इस पर हर तरह से कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है. 

महामारी से निपटना अपने आप में एक चैलेंज है

'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन' ने इसे डिसीज x का नाम दिया है. WHO के मेडिकल एक्सपर्ट ने इस महामारी के बारे में एक चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर यह बीमारी आ गई तो इससे 20 गुना ज्यादा मौतें होंगी. जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि करीब 5 करोड़ लोगों की मौत हो जाएगी. ब्रिटेन की वैक्सीन टास्कफोर्स की अध्यक्षता करने वाली डेम केट बिंघम ने कहा कि यह महामारी कम से कम 5 करोड़ लोगों की जान ले सकती है. यह अपने आप में एक चिंता का विषय है. इससे निपटने के लिए हमें कोई खास उपाय निकालना होगा. 

साइंटिस्ट इस बीमारी को लेकर जानकारियां जुटा रहे हैं

यह महामारी इतनी ज्यादा खतरनाक होती है कि अगर धरती पर इनका एक भी वायरस रह जाए तो यह उससे भी पनपने लगते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह वायरस बहुत तेजी में म्यूटेट होते हैं. आगे वह कहते हैं साल 1918-19 में एक महामारी आई गै ति स्पैनिश फिवर वह भी अपने मौजूद वायरस की वजह से आई थी. और उसकी वजह से पूरी दुनिया में 5 करोड़ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. इस महामारी को कैसे कंट्रोल कर सकते हैं इसके लिए साइंटिस्ट इस पर और भी जानकारियां जुटा रहे हैं. 

डिसीज X के लिए वैक्सीन?

ब्रिटेन के साइंटिस्ट इस डिसीज X के आने से पहले इसे लेकर अपनी तैयारियां पूरी रखना चाहते हैं. जिसकी वजह से वह वैक्सीन बनाना शुरू कर दिए हैं. साथ ही वह इसके साथ-साथ 25 तरह के वायरस पर स्टडी कर रहे हैं. जिसमें जानवरों में मिलने वाले वायरस भी शामिल है. जोकि इंसान में भी फैल सकते हैं. क्योंकि क्लाइमेट चेंज के कारण कई सारे ऐसे वायरस हैं जो जानवरों से इंसानों में फैलते हैं. 

क्या होता है म्यूटेशन?

म्यूटेशन को आप सिंपल भाषा में समझे तो इसे कहते हैं किसी भी जीव के अंदर जेनेटिक मटेरियल में चेंजेज. जब कोई वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में जाता है तो वह खुद की लाख कॉपी बनाता है. हर कॉपी दूसरे कॉपी से अलग होती है. जिसके कारण कुछ समय के बाद नया स्ट्रेन सामने आता है. इसलिए अक्सर आपने देखा होगा कि वायरस हमेशा अपना अलग-अलग रूप बदलते रहते हैं. 

ये भी पढ़ें: बीमार होने पर भी करते हैं काम तो जरा ठहर जाएं, वरना बढ़ सकता है कई गंभीर बीमारियों का जोखिम

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