Diwali Safety For Senior Citizen : देश में दिवाली की खुशियां देखते ही बन रही हैं. घर रौशन हैं, बाजारों में जमकर शॉपिंग चल रही है. बच्चों से लेकर बड़े-बुजुर्गों तक का उत्साह गजब का है. वैसे तो दीपावली (Deepavali 2024) रोशनी का फेस्टिवल है, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह रोशनी से ज्यादा पटाखों का त्योहार बन गया है. आजकल बिना आतिशबाजी के दिवाली का जश्न अधूरा माना जाता है. इनसे निकले धुएं और कण पर्यावरण ही नहीं हमारे सेहत को भी गंभीर तरह से प्रभावित करते हैं.


पटाखे जलाने से सल्फर, जिंक, कॉपर और सोडियम जैसे खतरनाक केमिकल्स हवा में घुल जाते हैं, जिससे पॉल्यूशन तो बढ़ता ही है, फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचता है. जिसका सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर पड़ता है. बुजुर्गों के लिए खुशियों और उल्लास का यह त्योहार कई खतरों से भरा हो सकता है, इसलिए उन्हें कुछ जगहों पर जाने से बचना चाहिए.


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दिवाली पर बुजुर्गों को खतरा क्यों है


1. आतिशबाजी की आवाज से हार्ट को समस्याएं


2. पटाखों के धुएं और पॉल्यूशन से सांस लेने में परेशानी या फेफड़ों की समस्याएं


3. पटाखों के धुएं से आंख, नाक, कान को खतरा


4. शोर और भीड़भाड़ से तनाव और स्ट्रेस का बढ़ जाना


5. भीड़भाड़ में गिरने या चोट लगने का खतरा


6. पटाखों की वजह से चोट लगने या जलने का खतरा


दिवाली पर बुजुर्गों को कहां-कहां जाने से बचना चाहिए


जहां पटाखे जलाए जा रहे हैं.


भीड़भाड़ वाले बाजार या जगहें


शोरगुल वाले इलाके


धुएं और प्रदूषण वाली जगहें


जहां आतिशबाजी से जलने या आग का खतरा हो.


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दिवाली पर सीनियर सिटीजन को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए


घर में ही दिवाली मनाएं


आतिशबाजी से दूर रहें


शोरगुल वाले इलाकों से बचें


धुएं और प्रदूषण से खुद को बचाएं.


अपनी सेहत का ख्याल रखें.


अपनी फैमिली के साथ ही रहें.


दादा-दादी, नाना-नानी के लिए दिवाली पर क्या करें


दिवाली में जब सभी लोग अपनी खुशियों और मस्ती में सराबोर रहते हैं, तब बुजुर्गों की सेहत को नजरअंदार न करें. पटाखों की आवाज, प्रदूषण और मिठाइयां दादा-दादी, नाना-नानी या बुजुर्ग माता-पिता की सेहत के लिए हानिकारक हो सकती हैं. उनका ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी होती है. हमें उनके खाने-पीने से लेकर हर छोटी-बड़ी चीज का ख्याल रखना चाहिए, ताकि उनकी सेहत बेहतर बनी रहे.


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