शहद के बारे में इन मिथकों का न बनें शिकार वरना फायदे हो जाएंगे बेकार
शहद में पोषक तत्व जैसे विटामिन्स और मिनरल्स पाए जाते हैं जो शुगर में नहीं मिलते. शहद शुगर के मुकाबले ज्यादा मीठा होता है. लेकिन उसके बारे में कई भ्रांतियां और मिथक भी पाए जाते हैं.
मीठे की जगह पर क्या आपको हेल्दी विकल्प की तलाश है? शुगर का सबसे अच्छा विकल्प शहद है जो पौधे से मधुमक्खियों द्वारा बनाया गया प्राकृतिक खाद्य पदार्थ होता है. इस अमृत के जीवाणु रोधी, एंटीफंगल, एंटीऑक्सीडेंट्स गुण होने के साथ-साथ कई फायदे हैं. अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसीन की रिसर्च के मुताबिक शहद में प्रोटीन, एमिनो एसिड, विटामिन्स, एंजाइम्स, मिनरल्स होते हैं और रोगाणु रोधी गुणों का दावा किया जाता है. इससे स्पष्ट होता है कि ये आपके हेल्दी रहने के लिए जरूरी सभी पोषक तत्वों का खजाना है. इसलिए, शहद का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर घरों में किया जाता है. कई फायदों से लेकर स्किन और बाल पर उसके सकारात्मक प्रभाव होते हैं. हालांकि, शहद हेल्दी है मगर खास मिथकों पर भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है.
मिथक 1: शहद को गर्म नहीं किया जाना चाहिए- ये सबसे बड़े मिथकों में से एक है कि शहद को गर्म नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ये जहरीले पदार्थों को जारी करता है. गर्म करने पर प्राकृतिक शहद जहर और टॉक्सिन्स नहीं छोड़ सकता क्योंकि ये शुरू में उसमें मौजूद नहीं होता है. लेकिन ध्यान रखें कि कुछ पोषण मूल्य से समझौता हो सकता है, इसलिए सुनिश्चित करें कि ये बहुत ज्यादा गर्म न हो.
मिथक 2: सभी प्रकार के शहद में समानता- शहद कई सारे रंगों और स्वादों में आता है. समझने के लिए कि 'सभी प्रकार के शहद स्वाद में समान दिखते हैं' मिथक है. शहद का रंग फूल पर निर्भर करता है जिसको मधुमक्खियां नेक्टर से चूसती हैं, और स्वाद और सुगंध भी फूल पर निर्भर करता है. इसलिए शहद का स्वाद और सुगंध शहद के स्रोत बदलने के साथ बदल जाता है.
मिथक 3: शहद कभी खराब नहीं होता है- ये शहत के बारे में सबसे प्रचलित मिथक है, जो तकनीकी तौर पर सही है. हालांकि, शहद अपना सुगंध और स्वाद खो सकता है अगर उसे उचित तरीके से सुरक्षित न किया जाए. ये हमेशा के लिए रह सकता है, लेकिन उसका स्वाद अच्छा नहीं होगा. इसलिए, शहद उस वक्त सबसे बढ़िया होता है जब ताजा खाया जाए. शहत पुराना होने के साथ भी काला पड़ जाता है.
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