Emotional Map Tool: अक्सर आपने कहते हुए सुना होगा कि कोई मेरी भावनाओं को नहीं समझता. हालांकि, ये बात बिलकुल सच है कि किसी व्यक्ति के अंदर क्या चल रहा है वो कोई नहीं पहचना सकता, कहने को लोग तो कह देते हैं कि तुम्हारी भावनाओं की कद्र है वगैरा वगैरा... लेकिन असल में ये समझना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है. कई बार जो लोग डिप्रेशन और एंग्जाइटी के शिकार होते हैं उनके इमोशन या जज्बात लोगों को मजाक लगते हैं. इसे ना तो मनोवैज्ञानिक समझ पाते हैं ना ही करीबी, ऐसे में लोगों को सटिक इलाज नहीं मिल पाता है. हालांकि, अब साइंस ने इस कमी को भी पूरी कर दी है. एक ऐसे टूल का निर्माण किया गया है जो आपके इमोशन को पहचान सकता है.


भावनाओं को समझने में सहायक हैं ये टूल


ऑटिज्म, सिज़ोफ्रेनिया और अवसाद से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली के डॉक्टरों ने मानवीय भावनाओं का पता लगाने के लिए एक नया उपकरण बनाया है, जिसे फेशियल टूलबॉक्स फॉर इमोशन रिकॉग्निशन (AFTER) डेटाबेस के रूप में जाना जाता है. अध्ययन में भाग लेने वाले डॉक्टरों के अनुसार, यह उपकरण ऑटिज्म, सिज़ोफ्रेनिया और अवसाद जैसी विभिन्न न्यूरोसाइकिएट्रिक स्थितियों वाले व्यक्तियों की भावना पहचानने की क्षमता को समझने में सहायक हो सकता है.


ये टूल मानवीय कारकों के उद्देश्यों और जरूरतों के बारे में समझने में मदद करेगा, भावनात्मक दृष्टिकोण के तहत उन्हें समझने, मूल्यांकन करने और उनकी कल्पना करने में मदद करेगा.एम्स के डॉक्टर रोहित के मुताबिक इस टूल से  विभिन्न न्यूरोसाइकिएट्रिक स्थितियों वाले व्यक्तियों की भावना पहचान, भावनाओं की धारणा में परिवर्तन का आकलन, किया जा सकता है. उनके मुताबिक ये रोगियों औऱ डॉक्टर दोनों के लिए ही उपयोगी है.


NSD के15 वॉलंटियर पर की गई स्टडी


आपको बता दें ये स्टडी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से चुने गए 15 वॉलंटियर पर किया गया.इन्हें लो और हाई इंटेंसिटी के साथ अलग अलग इमोशन में पोज देने को कहा गया.कलाकारों ने चेहरे के सात इमोशन प्रदर्शित किए  इनमें न्यूट्रल, खुशी, क्रोध, उदासी, घृणा, भय और आश्चर्य शामिल थे,जिससे कुल 240 तस्वीरें ली गई,हर तस्वीर को 19 मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और ड्रामा आर्ट के दो पेशेवर शिक्षकों द्वारा स्वतंत्र रूप से मान्य किया गया था.


डॉक्टर के मुताबिक, ये रिसर्च भारतीय लोगों के इमोशन जानने के लिए काफी उपयोगी है. वहीं डॉ. रोहित के मुताबिक ये इमोशन टूल पहला स्टेप है, अगले चरण के लिए काम जारी है, जहां वीडियो, टेक्स्ट और ऑडियो पर फोकस किया जाएगा, क्योंकि पढ़ना और सुनना भावनाओं की पहचान के अन्य पहलू हैं जो वास्तविक जीवन को दर्शाते हैं.


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