क्या आप भी पूरी-पकोड़े तलने के बाद कढ़ाई में बचे हुए तेल को दोबारा इस्तेमाल करते हैं, जानें इसके नुकसान
पूरी- पकोड़े जैसी तली हुई चीजों बनाने के बाद बचे तेल का हम अक्सर दोबारा उपयोग करते हैं. लेकिन इसे बार-बार इस्तेमाल करने से बचना चाहिए. इससे सेहत को नुकसान हो सकता है.
हम अक्सर विशेष अवसरों पर पूरी और पकोड़े खाना पसंद करते हैं. लेकिन सभी स्वादिष्ट और कुरकुरी तली हुई चीजों को फेंटने से खाद्य तेल की बर्बादी हो सकती है. इसलिए हम कभी-कभी खाना पकाने के लिए इसका दोबारा उपयोग करने के लिए भी ललचाते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब इसे बार-बार इस्तेमाल करते हैं तो क्या होता है.
स्टडीज के अनुसार खाना पकाने के तेल को दोबारा गर्म करने से टॉक्सिक पदार्थ निकलते हैं और शरीर में फ्री रेडिकल्स भी बढ़ जाते हैं जिससे सूजन और विभिन्न क्रोनिक डिजीज होती हैं. फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्ट ऑफ इंडिया( FSSAI) की गाइडलाइंस के मुताबिक तेल को फिर से गर्म करने से बचना चाहिए और यदि आपको तेल का दोबारा उपयोग करना है, तो ट्रांस-फैट के फॉर्मेशन बचने के लिए अधिकतम तीन बार ऐसा कर सकते हैं.
टॉक्सिक पदार्थ रिलीज होते हैं और दुर्गंध आती है
हाई टेम्परेचर पर गर्म किया गया तेल टॉक्सिक फ्यूम्ज रिलीज करता है. हर बार जब तेल गरम किया जाता है, तो उसके वसा अणु थोड़ा टूट जाते हैं. इससे यह अपने स्मॉक पॉइंट तक पहुंच जाता है और हर बार उपयोग किए जाने पर अधिक तेजी से दुर्गंध छोड़ता है. जब ऐसा होता है, तो अनहेल्दी पदार्थ हवा और पकाए जा रहे भोजन दोनों में रिलीज होते हैं.
कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ाता है
हाई टेम्परेचर पर तेल में मौजूद कुछ फैट्स, ट्रांस फैट्स में बदल जाते हैं. ट्रांस फैट हानिकारक फैट होते हैं जो हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाते हैं. जब तेल का दोबारा उपयोग किया जाता है तो ट्रांस फैट की मात्रा और भी अधिक हो जाती है.
ब्लड प्रेशर बढ़ने की आशंका
खाद्य पदार्थों में निहित नमी, वायुमंडलीय ऑक्सीजन, उच्च तापमान हाइड्रोलिसिस, ऑक्सीकरण और पोलीमराइजेशन जैसी रिएक्शन प्रोड्यूस करते हैं, ये रिएक्शन उपयोग किए गए फ्राइंग ऑइन की रासायनिक संरचना को बदलती हैं और संशोधित करती हैं. फ्री फैटी एसिड और रेडिकल रिलीज करती हैं जो मोनोग्लिसराइड्स, डाइग्लिसराइड्स और ट्राइग्लिसराइड्स प्रोड्यूस करते हैं.
इन्हें टोटल पोलर कंपाउंड्स के अंडर वर्गीकृत किया गया है जो कुकिंग ऑयल के डिग्रेशन को मापने के लिए एक विश्वसनीय बेंचमार्क है. बार-बार तलने के बाद बनने वाले इन यौगिकों की टॉक्सिसिटी लिपिड डिपोजिशन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस, हाईपरटेंशन, एथेरोस्क्लेरोसिस आदि का कारण बन सकती है.
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