Sundowning Syndrome: कुदरत का नियम है कि सूरज रोज उगेगा और रोज अस्त होगा. जिस तरह लोगों को सनराइज देखना पसंद है, ठीक उसी तरह ढलते सूरज की खूबसूरती भी कमाल होती है. लेकिन ढलता सूरज कुछ लोगों के लिए दुखदायी हो जाता है. दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो सूरज के ढलने का आनंद लेने की बजाय भावनात्मक रूप से कमजोर हो जाते हैं. इसे सनडाउनिंग सिंड्रोम (Sundowning Syndrome) कहा जाता है. सनडाउनिंग सिंड्रोम दरअसल एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसके चलते पीढ़ित व्यक्ति के मनोभाव सूरज ढलने के साथ बदल जाते हैं. ऐसा व्यक्ति सूरज के ढलने पर दुख, अवसाद, चिंता, चिड़चिड़ाहट और भ्रम का शिकार होता है. बहुत सारे लोग इससे पीड़ित हैं लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इस डिसऑर्डर को पहचान नहीं पाते. चलिए आज बात करते हैं सनडाउनिंग सिंड्रोम क्या है और इसके लक्षण क्या है.

 

क्या है सनडाउनिंग सिंड्रोम      

सनडाउनिंग सिंड्रोम दरअसल एक मेंटल कंडीशन है जिसके तहत सूरज ढलने के साथ ही व्यक्ति की भावनाएं अवसाद से घिर जाती हैं. जैसे ही सूरज ढलता है, मरीज का मनोबल टूटने लगता है, वो मेंटली कमजोर महसूस करता है. खासकर डिमेंशिया और अल्जाइमर से पीड़ित लोग इसका बहुत जल्दी शिकार होते हैं. सूरज डूबने के साथ ही दिमाग अपना स्वाभाविक काम सही से नहीं कर पाता और भावनात्मक आवेग हावी हो जाता है. जो लोग किसी प्रकाप के मानसिक तनाव का शिकार हैं, कामकाज का प्रेशर, सही नींद की कमी, अवसाद, ब्रेकअप आदि से परेशान हैं,  वो लोग इसकी चपेट में आते हैं. खासकर बुजुर्ग लोग जो डिमेंशिया और दिमाग संबंधी और कमजोरियों से जूझ रहे हैं, इससे ग्रसित हो जाते हैं. 

 

सनडाउनिंग सिंड्रोम के लक्षण   

सनडाउनिंग सिंड्रोम के लक्षणों में सूरज डूबने के साथ ही व्यक्ति को घबराहट होने लगती है. वो चिंता का शिकार होने लगता है, उसे अचानक ही भ्रम होने लगता है, कभी कभी लोग अपनी दिशा और दशा भी भूलने लगते है. कई लोग सूरज डूबने पर कोई काम ढंग से नहीं कर पाते. उन्हें डर लगने लगता है और बैचेनी होती है.

 

यह भी पढ़ें