• स्मृति हानि: ब्रेन हेमरेज के बाद लोगों को चीजें याद रखने में दिक्कत होती है. उनकी याददाश्त कमजोर होती है.

  • बोलने में दिक्कत: कुछ मामलों में, मरीजों को बोलने या समझने में कठिनाई हो सकती है. उनकी भाषा की क्षमता प्रभावित हो सकती है.

  • शारीरिक कमजोरी: ब्रेन हेमरेज के कारण शरीर के कुछ हिस्सों में कमजोरी या पैरालिसिस हो सकता है. इससे हाथ, पैर या चेहरे के हिस्से पर असर पड़ सकता है.

  • व्यवहार में बदलाव: ब्रेन हेमरेज के बाद मरीज के व्यवहार में बदलाव आ सकता है. उन्हें चिड़चिड़ापन, उदासी या अन्य भावनात्मक समस्याएं हो सकती हैं.

  • संतुलन की समस्या: दिमाग पर असर के कारण चलने-फिरने में संतुलन बनाए रखने में दिक्कत हो सकती है. 


एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ब्रेन हेमरेज के प्रभाव का स्तर इस बात पर निर्भर करता है कि खून का बहाव कितनी मात्रा में और किस हिस्से में हुआ है. अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो इससे गंभीर और स्थायी नुकसान हो सकता है. हालांकि, सही समय पर इलाज और फिर से ठीक करने की प्रक्रिया से मरीज की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है. इसके लिए डॉक्टरों की सलाह और रोजाना फिजियोथेरेपी बेहद जरूरी होती है. 


कैसे बचा जा सकता है?
ब्रेन हेमरेज से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतना जरूरी है. हाई बल्डपो को नियंत्रित रखना, हेल्दी डाइट लेना, और सिर की चोटों से बचना कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनसे इस गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है.  साथ ही, किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें. ब्रेन हेमरेज एक गंभीर स्थिति है, लेकिन सही देखभाल और इलाज से इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसलिए, इस पर ध्यान देना और समय रहते आवश्यक कदम उठाना बेहद महत्वपूर्ण है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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