ब्रेस्ट फ्रीडिंग एक नैचुरल प्रोसेस हैं इससे नैचुरल तरीके से मां के जरिए बच्चे को पोषण मिलता है. इसके जरिए एक बच्चे को आवश्यक पोषण मिलते हैं, स्तनपान से स्वास्थ्य संबंधी अच्छे रिजल्ट मिलते हैं. आपको जानकारी हैरानी होगी कि इससे कैंसर का खतरा भी कम होता है. ब्रेस्ट फीडिंग करवाने से कैंसर का जोखिम कम होता है. ओनली माइ हेल्थ में छपी खबर के मुताबिक इस बारे में विस्तार से समझाया गया है कि कैसे ब्रेस्ट फीडिंग करवाने से कैंसर का खतरा कम होता है. 


क्या ब्रेस्टफीडिंग करवाने से कैंसर का जोखिम कम होता है?


ब्रेस्ट फीडिंग करवाने से कैंसर का जोखिम कम होता है. रिसर्च से पता चला है कि एक महिला जितना अधिक समय तक ब्रेस्ट फीडिंग कराती है, उसे ब्रेस्ट  कैंस्रेर होने का जोखिम उतना ही कम होता है. ब्रेस्टफीडिंग के दौरान होने वाले हार्मोनल परिवर्तन और मोटापे के जोखिम को कम करने के लिए स्तनपान की क्षमता शामिल है. जो स्तन कैंसर के लिए एक ज्ञात जोखिम कारक है.


कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए ब्रेस्ट फीडिंग बेहद जरूरी है. हालांकि स्तनपान की कोई भी मात्रा फायदेमंद हो सकती है. शोध से पता चलता है कि कम से कम छह महीने तक स्तनपान कराना स्तन कैंसर के जोखिम को कम करने में विशेष रूप से प्रभावी है. 


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स्तनपान कराने से स्तन कैंसर का खतरा कम हो सकता है. स्तनपान की अवधि आप जितना अधिक समय तक स्तनपान कराती हैं. स्तन कैंसर के खिलाफ आपकी सुरक्षा उतनी ही अधिक होती है. हार्मोनल परिवर्तन स्तनपान कराने से मासिक धर्म में देरी हो सकती है. जिससे एस्ट्रोजन के संपर्क में कमी आती है. यह एक ऐसा हार्मोन है जो स्तन कैंसर कोशिका वृद्धि को बढ़ावा दे सकता है.


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उम्र स्तनपान कराने से स्तन कैंसर का खतरा कम हो सकता है. खासकर यदि आपके बच्चे कम उम्र में हुए हैं. क्या स्तनपान कराने से स्तन कैंसर का खतरा कम होता है स्तनपान कराने से प्री-मेनोपॉज़ल और पोस्ट-मेनोपॉज़ल दोनों तरह के स्तन कैंसर का खतरा कम हो सकता है.


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