Myth Vs Fact: फोन पास रखकर सोने से भी होता है कैंसर? जानें क्या है सच
Myth Vs Facts: फोन पास रखकर सोने से है कैंसर होता है? अक्सर कैंसर को लेकर हम ऐसी बातें अपने आसपास में सुनते हैं. मिथ Vs फैक्ट के जरिए बताएंगे इसका पूरा सच.
Myth Vs Facts: फोन पास रखकर सोने से है कैंसर होता है? अक्सर कैंसर को लेकर हम ऐसी बातें अपने आसपास में सुनते हैं. कैंसर को लेकर कई तरह के भ्रम लोगों के मन में होते हैं. ऐसे कई सवाल होते हैं जिन्हें लेकर अक्सर वह कंफ्यूज रहते हैं. उनमें से एक बड़ा सवाल यह है कि फोन को सिर के पास रखने के कारण ब्रेन ट्यूमर की समस्या होती है.
ऐसी बातों को लेकर 'एबीपी लाइव हिंदी' की खास पेशकश है Myth Vs Facts. 'Myth Vs Facts सीरीज' की कोशिश है कि आपको दकियानूसी बातों की दलदल से निकालकर आपतक सच्चाई पहुंचाना.' फोन और कैंसर को लेकर कई सारी बातें कही जाती है. जैसे फोन को अपने पास रखकर सोते हैं? कुछ लोग फोन को अपने पास ही चार्ज करते हैं? डॉक्टर आपको अपने मोबाइल फोन को अपने बेडरूम से दूर रखने के लिए क्यों कहते हैं.
Myths Vs Facts: मोबाइल से कैंसर का खतरा बढ़ता है?
Fact Check: हम ऐसे दौर में जी रहे हैं जब हमारा मोबाइल फोन हमें खुद का ही एक हिस्सा लगता है. ऐसे में इसकी सुरक्षा के बारे में सवालों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. एक चिंता यह है कि क्या मोबाइल फोन को शारीरिक रूप से अपने पास रखने से खास तौर पर सोते समय, ब्रेन ट्यूमर का जोखिम बढ़ जाता है? अंतर्राष्ट्रीय ब्रेन ट्यूमर अवेयरनेस ग्रुप के मुताबिक साउथ फर्स्ट ने इस बारे में विशेषज्ञों से बात की.
कई रिसर्च में यह बात साबित हुई है कि मोबाइल फोन के कारण कई सारे हेल्थ इश्यू होते हैं. साथ ही साथ यह भी कही गई कि कई सारी स्वास्थ्य जोखिमों का खतरा बढ़ता है. जबकि कुछ रिसर्च में फोन के इस्तेमाल और ब्रेन ट्यूमर के बीच संभावित संबंध का सुझाव दिया गया है.
हैदराबाद स्थित अपोलो हॉस्पिटल्स के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार कहते हैं, 'अभी तक इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि सोते समय मोबाइल फोन को कान या सिर के पास रखने से ब्रेन ट्यूमर होता है,
डॉक्टर कुमार बताते हैं कि मोबाइल फोन रेडियोफ्रीक्वेंसी (आरएफ) एक खास तरह के रे निकालती हैं. जो एक प्रकार का गैर-आयनीकरण विकिरण है. एक्स-रे के आयनीकरण विकिरण के विपरीत, जो डीएनए को नुकसान पहुंचा सकता है और संभावित रूप से कैंसर का कारण बन सकता है. गैर-आयनीकरण विकिरण ट्यूमर बनाती है इसका कोई प्रमाण नहीं मिले हैं. मेनिंगियोमा जैसे सौम्य ट्यूमर और ग्लियोमा जैसे कैंसर वाले ट्यूमर दोनों को देखा है. रिसर्च में यह पता चला कि इसके कोई सबूत नहीं है. कुछ अध्ययनों ने कैंसर के जोखिम में मामूली जोखिम देखी गई है लेकिन इसके पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं.
शोधकर्ताओं ने मोबाइल फोन के उपयोग और मस्तिष्क ट्यूमर के बीच संबंधों की जांच करने के लिए कई व्यापक अध्ययन किए हैं. ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है जो यह सुझाव दे कि अपने भरोसेमंद सेल फोन को हाथ में रखना या यहां तक कि सोते समय इसे अपने पास रखना, मस्तिष्क कैंसर के खतरे को बढ़ाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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