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क्या अच्छी नींद नहीं लेने से गठिया रोगियों की समस्या गंभीर हो जाती है, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

गठिया के 80 प्रतिशत रोगी सोने के लिए संघर्ष करते हैं, एक शोध के मुताबिक गठिया से पीड़ित लोगों के लिए उचित नींद लेना मुश्किल हो जाता है

Arthritis: डॉक्टर्स के मुताबिक हर रात कम से कम 7 से 8 घंटे की अच्छी गुणवत्ता वाली नींद स्वास्थ्य जीवन जीने का एक अहम हिस्सा है. लेकिन जब कोई व्यक्ति गठिया यानी कि आर्थराइटिस से पीड़ित होता है तो उसके लिए नींद आना मुश्किल हो जाता है. इससे पहले कि आर्थराइटिस की समस्या बढ़े हमें इसके साइन को ही समझ जाना चाहिए. अगर इसके पहले स्टेज पर ही सही इलाज दे देंगे तो आगे चलकर हमारी जिंदगी आसान हो सकती है.

नींद कैसे एक महत्वपूर्ण कारक है?

एक शोध के मुताबिक गठिया के 80 प्रतिशत रोगियों को नींद आने में कठिनाई होती है. जिन जोड़ों में सूजन दर्द और अकड़न होगी वो गठिया से पीड़ित लोगों के लिए उचित नींद लेना मुश्किल बना देंगे, वास्तव में कुछ लोग अनिद्रा के लिए अपने गठिया के दर्द को ही जिम्मेदार ठहराते हैं. दरअसल अक्सर रात में गठिया का दर्द बढ़ जाता है. और ऐसे में नींद आना किसी संघर्ष से कम नहीं होता. डॉक्टर के मुताबिक नींद और गठिया का एक दूसरे से ऐसा अजीब रिश्ता है कि, दर्द के कारण नींद नहीं आती, और  अगर आप कम नींद लेते हैं तो आपको गठिया की समस्या में और परेशानी हो सकती है. यह आपको डिप्रेस्ड, अपंग भी बना सकता है. डॉक्टर के मुताबिक यह एक ऐसी समस्या है जो खराब नींद की आदतों के चलते विकसित हो सकता है.

आर्थराइटिस के बारे में विस्तार से जानकारी

कंसलटेंट ऑर्थोपेडिक्स डॉक्टर रवि कुमार का कहना है कि स्वेलिंग दर्द और अकड़न एक या एक से ज्यादा ज्वाइंट में हो रहा है तो यह आर्थराइटिस का पहला साइन है. वह बताते हैं कि अर्थराइटिस दो तरह के होते हैं एक ओस्टियोआर्थराइटिस होता है और दूसरा रूमेटाइड गठिया

ओस्टियोआर्थराइटिस:ओस्टियोआर्थराइटिस जोड़ों के कार्टिलेज को क्षतिग्रस्त कर देता है. परिणाम स्वरूप हमारे जोड़ों का सरफेस खुरदरा हो जाता है. इसकी वजह से जोड़ों में सूजन दर्द और अकड़न होने लगती है. ओस्टियोआर्थराइटिस सुरक्षात्मक कार्टिलेज के टूटने के कारण होता है. यह जोड़ों की सुरक्षा करता है और जोड़ों को हिलने डुलने में मदद करता है ओस्टियोआर्थराइटिस में कार्टिलेज की सतह खुरदरी हो जाने से हड्डी पर रगड़ पड़ती है और जोड़ों पर तनाव बढ़ता है इससे जोड़ों की गतिशीलता प्रभावित हो जाती है. आमतौर पर आपकी रीढ़, कूल्हों, घुटनों और हाथों के जोड़ों को प्रभावित करता है. ऑस्टियोआर्थराइटिस को गठिया का सबसे आम रूप माना जाता है. सक्रिय रहना और स्वस्थ जीवन शैली का नेतृत्व करना इस बीमारी के विकास को धीमा कर सकता है.

रूमेटाइड आर्थराइटिस: रूमेटाइड आर्थराइटिस में जोड़ों सहित दूसरे अंगों जैसे कि त्वचा आंख फेफड़े दिल किडनी और खून की धमनियों पर भी गलत असर पड़ता है. यह एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है ऐसी परिस्थिति तब होती है जब हमारे प्रतिरक्षा तंत्र गलती से हमारे ही शरीर के टिशू पर हमला कर देता है. यह समस्या शरीर के किसी भी जोड़ में दर्द और सूजन पैदा होने के कारण बन सकती है ऐसा होने पर जोड़ों का मूवमेंट कम होने की संभावना होती है.

रूमेटाइड आर्थराइटिस के कितने चरण होते हैं

रूमेटाइड आर्थराइटिस कई चरण होते हैं और सभी चरणों का अलग इलाज है. सबसे पहले बात की जाए तो पहले चरण में साइनोवियम में सूजन आ जाती है. इस स्थिति में जोड़ों को नुकसान नहीं पहुंचता लेकिन उसके नजदीकी टिशू सूख जाते हैं, जिस वजह से जोड़ों में दर्द होने लगता . इसके बाद आता है दूसरा चरण जिसमें कार्टिलेज को नुकसान पहुंचता है और जोड़ों में कठोर बना जाता है, जोड़ों की गति धीमी हो जाती है और व्यक्ति को परेशानी उठानी पड़ती है. तीसरे चरण में सूजन की वजह से कार्टिलेज और हड्डियों के सिरे को क्षति पहुंचती है और चौथे चरण को बड़ा ही गंभीर माना जाता है इसमें जोड़ पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है और ठीक तरह से काम करना बंद कर देता है.

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