अगर आप ये सोच रहे हैं कि एक बार संक्रमित होने के बाद कोरोना वायरस की चपेट में आप फिर नहीं आ सकते हैं, तो ये आपका भ्रम है. रिसर्च से साबित हुआ है कि पूर्व का कोविड-19 संक्रमण दूसरी बार संक्रमण से युवाओं को पूरी तरह सुरक्षा नहीं देता है, और टीकाकरण की अभी भी जरूरत इम्यून रिस्पॉन्स बढ़ाने और बीमारी के ट्रांसमिशन को कम करने के लिए होगी. ये खुलासा लांसेट रिस्पेरेटरी मेडिसीन पत्रिका में प्रकाशित अवलोकनात्मक रिसर्च की रिपोर्ट में हुआ है. रिसर्च को अमेरिकी नौसैनिक टुकड़ी के 3 हजार से ज्यादा स्वस्थ सदस्यों पर किया गया था और उनमें से अधिकतर की उम्र 18-20 साल के बीच थी. आइकैन स्कूल ऑफ मेडिसीन, अमेरिका के शोधकर्ताओं ने जोर दिया कि जहां कहीं भी संभव हो युवाओं को वैक्सीन लगवाना चाहिए.


एक बार का संक्रमण क्या आपको कोरोना के खिलाफ दे सकता सुरक्षा?


उन्होंने माना कि पहले का संक्रमण और वर्तमान की एंटी बॉडीज, टीकाकरण अभी भी इम्यून रिस्पॉन्स बढ़ाने, दूसरी बार संक्रमण को रोकने और बीमारी के ट्रांसमिशन को कम करने के लिए जरूरी है. रिसर्च टीम में शामिल एक शोधकर्ता प्रोफेसर स्टुअर्ट सीलफोन ने कहा, "जैसा कि टीकाकरण अभियान अत्यधिक फायदा हासिल करने के लिए जारी है, मगर जरूरी है याद रखना कि कोविड-19 के पहले संक्रमण के बावजूद युवाओं को वायरस फिर चपेट में ले सकता है और उसे दूसरों तक अभी भी फैला सकते हैं." उन्होंने इम्यूनिटी के हवाले से बताया कि पूर्व का संक्रमण गारंटी नहीं देता है और टीकाकरण से मिलनेवाली अतिरिक्त सुरक्षा की अभी भी उन लोगों को जरूरत होगी जिनको कोविड-19 की बीमारी रह चुकी थी. हालांक, रिसर्च को फिट, युआ और नौसैनिक टुकड़े के ज्यादातर पुरुष जवानों पर किया गया था, इसलिए शोधकर्ताओं का मानना है कि उनके रिसर्च में पाया गया दूसरे संक्रमण का खतरा सिर्फ युवाओं पर लागू होगा.


इम्यूनिटी के हवाले से शोधकर्ताओं ने बताया पूर्व का संक्रमण गारंटी नहीं


रिसर्च में शामिल प्रतिभागियों के ज्यादातर नए मामले एसिम्पटोमैटिक थे, या हल्का लक्षण था और किसी को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ी. नौसेना मेडिकल रिसर्च सेंटर, अमेरिका के डान वेर ने कहा, "हमारा रिसर्च बताता है कि कुछ कमजोर एंटीबॉडीज के निम्न लेवल वाले लोग दूसरी बार संक्रमण थे, इससे संकेत मिलता है कि संभव है पूर्व में संक्रमित रह चुके और ठीक हो चुके लोगों को बाद में कोरोना वायरस की चपेट में दूसरी बार आने का खतरा है. दोबारा ये संक्रमण एसिम्पटोमैटिक हो सकते हैं, जैसा कि हमारे अधिकतर प्रतिभागियों के मामले में देखा गया." शोधकर्ताओं का मानना है कि उनके रिसर्च की कुछ सीमाएं है. 


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