आपने घर या बाहर अक्सर एक बात कहते सुनी होगी कि एक बार में ही मार देना सही है. बार-बार तड़पा कर मारना ठीक नहीं है. दरअसल, बैंडेज के बारे में भी अक्सर यही बात कही जाती है कि अगर बैंड-एड को एक बार में उखाड़ लिया जाए तो कम दर्द होता है. लेकिन अगर इसी को धीरे-धीरे उखाड़ा जाए तो दर्द बढ़ जाता है. अब यह बात कितनी सही है इस बात का जिक्र 'द मेडिकल जर्नल ऑफ ऑस्ट्रेलिया' में पब्लिश एक रिपोर्ट में कि गई है.


'क्वींसलैंड में जेम्स कुक यूनिवर्सिटी' के 65 छात्रों ने एक खास रिसर्च की. जिसमें पाया कि बैंडेज को निकालने का कौन सा तरीका सही है. इस जांच प्रकिया में बैंडेज को दो तरीके से निकाला गया है. एक में झटके के साथ और दूसरे में धीरे-धीरे. फिर इन दोनों का आकलन किया गया कि दोनों में ही तरीका में से दर्द किस में कम होता है. 


बैंडेज को निकालने का सही तरीका


इस जांच में शामिल प्रतिभागियों ने दोनों तरीकों से बैंड-एड निकालने की कोशिश की. फिर 11-पॉइंट दर्द के पैमाने पर अपनी परेशानी का आकलन किया गया. जिन लोगों ने पट्टी बांधी थी, उन्होंने औसतन 0.92 दर्द स्कोर की सूचना दी. जिन लोगों ने दो-सेकंड की अवधि में धीरे-धीरे छलनी की, उन्हें मसोचिस्ट माना गया, जिन्होंने 1.58 के औसत स्कोर दिया गया. 


रिसर्च ने तीन अलग-अलग जगहों पर ड्रेसिंग की कोशिश की. हाथ, डेल्टॉइड (कंधे), और टखने और शरीर के बालों के लिए साइट का आकलन भी किया. जबकि शरीर के अंग कोई मायने नहीं रखते थे. शरीर के नीचले हिस्सों में बालों के कारण बैंडेज करने में असुविधा होती है. रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया. तो क्या यह सही है पट्टी को तेजी से हटाने की तुलना में धीमी गति से हटाने से अधिक दर्दनाक होता है. 


बोस्टन में एमआईटी और ब्रिघम और महिला अस्पताल के कुछ शोधकर्ताओं ने 2022 में घोषणा की कि वे उस लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं. घाव के परिणाम के रूप में त्वचा की कोमलता या उपयोग की गई पट्टी के प्रकार के आधार पर अलग-अलग चिपकने वाली ताकत है. अध्ययन में पाया गया है कि बैंड-एड ब्रांड पट्टियों का इस्तेमाल किया जाता है. इन पट्टियों के गोंद जो त्वचा से चिपक जाते हैं. लेकिन यह हटाने के बाद उतना दर्द नहीं करते हैं. 


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