चीनी हमारे शरीर के लिए बहुत ज्यादा नुकसानदायक है. चीनी, ब्लड में शुगर लेवल को अप एंड डाउन होती है जिसकी वजह से सिरदर्द की समस्या हो सकती है. ज्यादा चीनी खाने से सिरदर्द की समस्या हो सकती है. शुगर से संबंधित सिरदर्द का संबंध आपके ब्लड में ग्लूकोज का लेवल बढ़ाता है. ग्लूकोज आपके शरीर को एनर्जी देता है और आपके ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता और घटाता है. आपका शरीर इंसुलिन के साथ कोशिकाओं में ब्लड में ग्लूकोज के लेवल को घटाता बढ़ाता है. आपके ग्लूकोज स्तर में उतार-चढ़ाव किसी भी अन्य अंग की तुलना में आपके दिमाग को सबसे अधिक प्रभावित करता है. इन उतार-चढ़ाव के परिणामस्वरूप सिरदर्द हो सकता है. ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने के कारण किसी भी इंसान को माइग्रेन की दिक्कत हो सकती है. इन स्थितियों को अक्सर हाइपरग्लेसेमिया और हाइपोग्लाइसीमिया के रूप में जाना जाता है.
हाइपोग्लाइसीमिया बनाम हाइपरग्लेसेमिया
अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज की शिकायत है तो उसे चीनी खाने से सिरदर्द महसूस हो सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे व्यक्ति को हाइपोग्लाइसीमिया या हाइपरग्लाइसीमिया का खतरा बढ़ सकता है. कुछ मामलों में ये स्थितियां मधुमेह के बिना भी हो सकती हैं.
हाइपोग्लाइसीमिया
हाइपोग्लाइसीमिया एक ऐसी स्थिति है जो ब्लड सर्कुलेशन में पर्याप्त ग्लूकोज न होने के कारण होती है. यह आमतौर पर तब होता है जब आपके ब्लड में ग्लूकोज का लेवल 70 मिलीग्राम/डीएल से नीचे चला जाता है. कभी-कभी, लक्षण तब तक शुरू नहीं होते जब तक कि स्तर 55 मिलीग्राम/डीएल या उससे कम न हो जाए.
लंबे वक्त तक खाना नहीं खाने के बाद भी यह दिक्कत होती है
यह स्थिति खाना छोड़ने या लंबे समय तक बिना खाए रहने के बाद हो सकता है. यदि आपको डायबिटीज है, तो आपको हाइपोग्लाइसीमिया का अनुभव हो सकता है. क्योंकि शरीर ब्लड में ग्लूकोज के लेवल को अपने कंट्रोल में करने की कोशिश करता है. यदि आप निेर्धारित इंसुलिन ले रहे हैं तो यह और बढ़ सकता है. सिरदर्द हाइपोग्लाइसीमिया के लक्षण के रूप में हो सकता है.
हाइपोग्लाइसीमिया का भी अनुभव हो सकता है. खाना खाने के बाद यह आपके ब्लड में ग्लूकोज के लेवल में तेजी से गिरावट होता है. यह खाने के चार घंटे के भीतर होता है. खाना खाने से आपका ब्लड में ग्लूकोज तेजी से बढ़ता है, और आपका शरीर इंसुलिन का अधिक उत्पादन करने लगता है.
आपके भोजन से ग्लूकोज पचने के बाद भी शरीर इंसुलिन का उत्पादन जारी रखता है, जिससे रक्त शर्करा में तेजी से गिरावट आती है. रिसर्च से यह भी पता चलता है कि प्रतिक्रियाशील हाइपोग्लाइसीमिया कुछ लोगों में माइग्रेन की घटनाओं को ट्रिगर कर सकता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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