नजर का चश्मा लगाने से मिल जाएगा छुटकारा! DCGI की तरफ से इस आई ड्रॉप को मिली मंजूरी
इंडियन आई ड्रॉप को 'ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया' से मंजूरी मिल गई है. इस आई ड्रॉप से रीडिंग ग्लास लगाने वाले भी छुटकारा मिल जाएगा.
जो लोग रीडिंग ग्लास का इस्तेमाल करते हैं उनके लिए खुशखबरी है. इंडियन आई ड्रॉप को 'ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया' से मंजूरी मिल गई है. प्रेस रीलिज में कहा गया कि आई ड्रॉप से न केवल मरीजों को पढ़ने के चश्मे से छुटकारा मिलेगा. बल्कि ड्राई आंखों वाले को भी काफी ज्यादा फायदा मिलेगा.
भारत की पहली आई ड्रॉप को मंजूरी मिली
दवा पर दो साल से अधिक समय तक विचार-विमर्श करने के बाद दवा नियामक एजेंसी ने पढ़ने के चश्मे की ज़रूरत को खत्म करने के लिए भारत की पहली आई ड्रॉप को मंज़ूरी दे दी है. मंगलवार को, मुंबई स्थित एन्टोड फ़ार्मास्युटिकल्स ने पिलोकार्पाइन का उपयोग करके बनाई गई “प्रेसवू” आई ड्रॉप लॉन्च की गई है.
यह दवा पुतलियों के आकार को कम करके ‘प्रेसबायोपिया’ का इलाज करती है. जिससे नज़दीक की चीज़ों को देखने में मदद मिलती है. प्रेसबायोपिया की स्थिति उम्र के साथ-साथ आंखों की नज़दीकी वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में कमी है और यह स्थिति आम तौर पर 40 के दशक के मध्य में ध्यान देने योग्य हो जाती है और 60 के दशक के अंत तक बिगड़ जाती है.
न्यूज18 को दिए गए इंटरव्यू में एन्टोड फार्मास्यूटिकल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) निखिल के मसुरकर ने कहा कि दवा की एक बूंद मात्र 15 मिनट में असर दिखाना शुरू कर देती है और इसका असर अगले छह घंटे तक रहता है. अगर पहली बूंद के तीन से छह घंटे के भीतर दूसरी बूंद भी डाली जाए तो इसका असर और भी लंबे समय तक बना रहेगा. अब तक, पढ़ने के चश्मे, कॉन्टैक्ट लेंस या कुछ सर्जिकल हस्तक्षेपों को छोड़कर धुंधली निकट-दृष्टि के लिए कोई दवा-आधारित समाधान नहीं था.
इस दवा को कौन खरीद सकता है?
अक्टूबर के पहले सप्ताह से, प्रिस्क्रिप्शन-आधारित ड्रॉप्स सभी फार्मेसियों में 350 रुपये की कीमत पर उपलब्ध होंगी. यह दवा 40 से 55 वर्ष की आयु के लोगों के लिए हल्के से मध्यम प्रेसबायोपिया के इलाज के लिए बहुत अच्छा होता है. निखिल के मसुरकर का दावा है कि यह भारत में अपनी तरह की पहली दवा है जिसका परीक्षण भारतीय आंखों पर किया गया है और भारतीय आबादी के आनुवंशिक आधार के अनुसार इसे अनुकूलित किया गया है.
निखिल के मसुरकर ने कहा विदेशों में इसी तरह की दवाएं उपलब्ध हैं. हालांकि, उन फ़ॉर्मूलेशन का परीक्षण भारतीय आंखों पर नहीं किया जाता है जो कोकेशियान आंखों से बहुत अलग हैं. हमने फ़ॉर्मूलेशन में कई बदलाव किए हैं. उत्पाद केवल पंजीकृत चिकित्सकों द्वारा प्रिस्क्रिप्शन पर बेचा जाएगा, कंपनी ने नवीनतम उत्पाद के उपयोग के बारे में डॉक्टरों को सूचित करने और शिक्षित करने के लिए अपने फील्ड फ़ोर्स को प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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